जापान चंद्रमा मिशन: चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के बाद दुनिया भर में भारत की सरहाना हुई है. यही वजह है कि विश्व के दिग्गज देशों ने मजबूती के साथ चांद की ओर कदम बढ़ाया है. इसी कड़ी में जापान की ओर से चांद को लेकर चलाए जा रहे मिशन में एक बड़ी कामयाबी मिली है. दरअसल, जापान का SLIM यानी स्मार्ट लैंडर फॉर इन्वेस्टिगेटिंग मून मिशन 25 दिसंबर 2023 को चांद की कक्षा में पहुंच गया है. जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी ने खुद इस बात की पुष्टि की.
JAXA के अधिकारियों ने बताया कि जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (JAXA) को यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि चंद्रमा की जांच के लिए स्मार्ट लैंडर (SLIM) को 25 दिसंबर, 2023 को सफलतापूर्वक चंद्र कक्षा में स्थापित किया गया. JAXA ने बताया कि स्मार्ट लैंडर अपने वर्तमान पथ के हिसाब से लगभग 6 घंटे 40 मिनट में यह चंद्रमा का एक चक्कर पूरा कर रहा है.अगले कुछ हफ्तों में यह लैंडर धीरे-धीरे कक्षा के अंदर जाएगा . स्लिम एक हल्का लैंडर है जो 100 मीटर तक फैले लैंडिंग क्षेत्र में उतरने का प्रयास करेगा. इसकी लैंडिंग एक सटीक जगह होगी, जिस कारण इसका नाम मून स्नाइपर पड़ा.
19 जनवरी को कर सकता है चांद पर लैंड
जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी का दावा है कि पांचवें महीने की यात्रा के बाद 19 जनवरी 2024 में यह चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा. यानी चांद की सतह पर उतरेगा. बता दें कि यह मिशन जापान के लिए नया मील का पत्थर साबित होगा क्योंकि इससे पहले केवल चार देशों ने चंद्रमा पर यान की सॉफ्ट लैंडिंग कराई है. चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने वाल देशों में भारत, अमेरिका, रूस और चीन शामिल है, ऐसे में सबकुछ ठीक रहा तो जापान भी इस लिस्ट में शामिल हो जाएगा .
चांद पर उतरने के बाद डेटा इकट्ठा करेगा SLIM
8.8 फुट लम्बे (2.7 मीटर) स्मार्ट लैंडर (SLIM) को एक शक्तिशाली एक्स-रे अंतरिक्ष दूरबीन XRISM के साथ 6 सितंबर को लॉन्च किया गया था. चांद पर उतरने के बाद यह चंद्रमा की चट्टानों के बारे में डेटा इकट्ठा करेगा. यह डेटा वैज्ञानिकों को चंद्रमा के गठन को बेहतर ढंग से समझने में मदद कर सकता है. जापान के मून स्नाइपर अंतरिक्ष यान के लैंडिंग प्रयास के बाद, संयुक्त राज्य अमेरिका का लक्ष्य आने वाले वर्ष में चंद्रमा की सतह पर तीन रोबोटिक वाहन लॉन्च करना है.इसके साथ ही नासा का इरादा 2024 के अंत में अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा की कक्षा में भेजने का है.