Tuesday, December 3, 2024
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जम्मू-कश्मीर विधानसभा में तीसरे दिन भी हंगामा जारी, विशेष दर्जे के प्रस्ताव पर उठा विवाद

श्रीनगर, जम्मू-कश्मीर: जम्मू-कश्मीर विधानसभा में तीसरे दिन भी जोरदार हंगामा हुआ। राज्य के विशेष दर्जे पर हुए प्रस्ताव को लेकर सदन में गरम माहौल बना रहा। कई विधायक बहस के दौरान उग्र हो गए और आपस में धक्का-मुक्की और मारपीट की नौबत आ गई, जिसके चलते स्पीकर अब्दुल रहीम राथर को 12 विपक्षी विधायकों के साथ लंगेट के निर्दलीय विधायक शेख खुर्शीद को सदन से बाहर निकालना पड़ा। सदन की कार्यवाही शुरू होते ही भाजपा विधायकों ने ‘पाकिस्तानी एजेंडा नहीं चलेगा’ जैसे नारे लगाए और वेल में जाकर जोरदार विरोध जताया। इस पर स्पीकर ने मार्शलों को उन्हें सदन से बाहर निकालने का आदेश दिया। इसके बाद 11 भाजपा विधायकों ने वॉकआउट कर सदन का बहिष्कार किया।

‘जम्मू-कश्मीर के लोकतंत्र के लिए काला दिन’

विधानसभा में हुए हंगामे पर भाजपा नेता सुनील शर्मा ने बयान दिया कि यह जम्मू-कश्मीर के लोकतंत्र का काला दिन है। उन्होंने आरोप लगाया कि स्पीकर विपक्ष की आवाज को दबाने के लिए लगातार मार्शल लॉ का सहारा ले रहे हैं, जो लोकतांत्रिक प्रक्रिया का उल्लंघन है। सुनील शर्मा ने कहा, “स्पीकर ने स्वयं ही इस पूरी कार्रवाई की योजना बनाई है। हम अनुच्छेद 370 पर किसी बहस की गुंजाइश नहीं मानते हैं, क्योंकि यह एक इतिहास है। हम इस पर बहस चाहते थे, लेकिन हमारे विधायकों के साथ जो दुर्व्यवहार हुआ, वह अस्वीकार्य है।” उन्होंने यह भी ऐलान किया कि वे स्पीकर के खिलाफ समानांतर विधानसभा चलाने के लिए धरने पर बैठेंगे।

विशेष दर्जे के प्रस्ताव पर विधानसभा में हुआ हंगामा

जम्मू-कश्मीर विधानसभा में पिछले तीन दिनों से विशेष राज्य के दर्जे को लेकर जोरदार बहस हो रही है। मंगलवार को उपमुख्यमंत्री सुरिंदर चौधरी द्वारा प्रस्तुत किए गए इस प्रस्ताव में जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे और संवैधानिक गारंटी को बहाल करने की मांग की गई थी। प्रस्ताव में जम्मू-कश्मीर के लोगों की पहचान, संस्कृति और अधिकारों की सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्धता जताई गई और कहा गया कि इसे एकतरफा तरीके से हटाया जाना उचित नहीं है।

यह भी पढ़ें:- जम्मू-कश्मीर विधानसभा में आर्टिकल 370 की बहाली पर हंगामा, भाजपा-विपक्ष में तीखी बहस और हाथापाई

प्रस्ताव में क्या था मुख्य बिंदु

सुरिंदर चौधरी द्वारा पेश किए गए इस प्रस्ताव में कहा गया कि जम्मू-कश्मीर की पहचान, संस्कृति और संवैधानिक गारंटी को बहाल किया जाना चाहिए। इसके साथ ही प्रस्ताव में केंद्र सरकार से मांग की गई कि वह जम्मू-कश्मीर के निर्वाचित प्रतिनिधियों के साथ वार्ता शुरू करे और इस संवैधानिक बहाली के लिए एक तंत्र तैयार करे। प्रस्ताव में कहा गया कि राष्ट्रीय एकता को बनाए रखने के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर के लोगों की वैध आकांक्षाओं का सम्मान भी होना चाहिए।

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