कोटा बेवफा चाय वाला: देश और दुनिया भर में फेमस ‘MBA चाय वाला’ की स्टोरी और उसकी सक्सेस की कहानी मिसाल बनी हुई है। फीस न भर पाने के चलते प्रफुल्ल बिल्लोरे को MBA की डिग्री नहीं मिली तो उन्होंने चाय की दुकान शुरू की और कामयाबी की नई इबारत लिख दी। ऐसी ही एक स्टोरी इन दिनों सुर्खियों में है। NEET और IIT एंट्रेंस की कोचिंग के हब कोटा शहर में ‘बेवफा चाय वाला’ दुकान खूब वायरल हो रही है। दुकान के मालिक दीपक परिहार ने ऐसा नाम क्यों रखा? अबतक उनकी नेटवर्थ कितनी हो गई है और आगे का प्लान क्या है? इस पर खुद दीपक ने सबकुछ स्पष्ट किया है।
बेवफा चाय वाला नाम से दुकान शुरू करने वाले दीपक ने बताया कि सिलसिला 2018 में उस वक्त शुरू हुआ जब उनकी पत्नी ने उनका साथ छोड़ दिया। दीपक उस समय दिल्ली में एक रेस्टोरेंट में काम करते थे और संभवतः उनकी पत्नी को ये काम पसंद नहीं आ रहा था। पत्नी के साथ छोड़ने के बाद दीपक कोटा लौटे और उन्होंने चाय की दुकान शुरू की। सामान्य तौर-तरीकों से हटकर दीपक ने दुकान का नाम रखा-‘बेवफा चाय वाला।’ धीरे-धीरे लोगों और खासकर स्टूडेंट्स का इंटरेस्ट बढ़ा और दुकान पर भीड़ लगने लगी लेकिन इसी बीच एक सड़क हादसे के चलते दीपक कि दुकान बंद हो गई।
दीपक ने हिन्दुस्तान टीम से बात करते हुए बताया कि सड़क हादसे में गनीमत रही कि उनकी जान बच गई। जबकि उनका एक दोस्त अब भी कोमा में है। साल 2023 में दुकान फिर से शुरू कर सके। दुकान के अंदर हाथ से लिखी शायरियां और चाय के बारे में कुछ आकर्षक लाइनें उनकी दुकान को अन्य दुकानों से खास बनाती है। इतना ही नहीं बेवफा चाय वाले की दुकान पर कई वेरायटी की चाय मिलती है और हर चाय के नाम के आगे ‘बेवफा’ शब्द जुड़ा हुआ है।
16 लोगों को रोजगार
दीपक ने लाइव हिन्दुस्तान टीम से बात करते बताया कि अभी राजस्थान में उनके कुल 3 आउटलेट हैं। कोटा और जयपुर में दुकानें खुल गई हैं और कुल 16 लोग काम कर रहे हैं। दीपक का भाई भी इस काम में उनकी मदद कर रहा है।
कितना है नेटवर्थ ?
बेवफा चाय वाला के नाम से शुरू इस वेंचर के अबतक की नेटवर्थ के बारे में दीपक ने साफ-साफ तो नहीं बताया लेकिन उन्होंने एक इशारा जरूर कर दिया। दीपक का कहना है कि उन्होंने प्राइवेट लिमिटेड के रूप में रजिस्टर कराने के लिए आवेदन दिया है। उन्होंने बताया कि प्राइवेट लिमिटेड हो जाने से दूसरे शहरों में ब्रांच खोलना आसान हो जाएगा।
क्या है आगे का प्लान ?
दीपक ने बताया कि जब उन्होंने इस तरह का काम शुरू किया था तो उस समय उतना सपोर्ट नहीं मिल रहा था लेकिन अब धीरे-धीरे उनका काम बढ़ रहा है। दुकान पर लोगों की भीड़ लग रही है। दीपक ने बताया कि प्राइवेट लिमिटेड बनने के बाद वो इसे देश के अन्य शहरों में ले जाएंगे।
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