उत्तर प्रदेश: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को विश्व हिंदू आर्थिक मंच (डब्ल्यूएचईएफ) के वार्षिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा श्रमिकों के सम्मान और भारत की ऐतिहासिक आर्थिक विरासत पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार ने श्रमिकों की मेहनत और उनकी भूमिका को उच्चतम सम्मान प्रदान किया है, जो भारत के गौरवशाली अतीत की पहचान और भविष्य की दिशा दोनों को दर्शाता है।
राम मंदिर के श्रमिकों का सम्मान
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में राम मंदिर निर्माण श्रमिकों को सम्मानित करने का उल्लेख किया। उन्होंने कहा, “22 जनवरी को प्रधानमंत्री ने राम मंदिर के निर्माण में लगे श्रमिकों का सम्मान करते हुए उन पर फूल बरसाए। यह हमारे श्रमबल के प्रति सम्मान की भावना को दर्शाता है।” उन्होंने इसे एक आदर्श उदाहरण बताते हुए श्रमिकों के प्रति संवेदनशीलता और उनके योगदान को स्वीकारने की आवश्यकता पर बल दिया।
ताजमहल और कपड़ा उद्योग के श्रमिकों पर इतिहास की काली छाया
सीएम योगी ने ताजमहल निर्माण से जुड़े श्रमिकों के कथित अमानवीय व्यवहार की ओर ध्यान दिलाया। उन्होंने कहा, “ऐसा कहा जाता है कि ताजमहल का निर्माण करने वाले श्रमिकों के हाथ काट दिए गए थे। यह वह समय था जब श्रमिकों की मेहनत को महत्व नहीं दिया गया और उनकी कला को नष्ट कर दिया गया।”
उन्होंने कपड़ा उद्योग का जिक्र करते हुए कहा कि इतिहास में उत्कृष्ट कपड़ा निर्माण में लगे कारीगरों के साथ भी ऐसा ही व्यवहार किया गया, जिससे न केवल एक कला, बल्कि एक पूरी परंपरा और विरासत समाप्त हो गई।
भारत का ऐतिहासिक आर्थिक योगदान
मुख्यमंत्री ने भारत की ऐतिहासिक आर्थिक शक्ति पर प्रकाश डालते हुए कहा, “पहली शताब्दी से लेकर 15वीं शताब्दी तक भारत का विश्व अर्थव्यवस्था में 40% से अधिक योगदान था। यह उस समय की हमारी प्राचीन कला, व्यापार और श्रमबल की शक्ति का परिणाम था।” उन्होंने कहा कि यूरोप के विद्वान भी इसे स्वीकार करते हैं और यह भारत की प्राचीन अर्थव्यवस्था की मजबूती को दर्शाता है।
संभल में मंदिर और विरासत पर विचार
मुख्यमंत्री ने संभल में मिले प्राचीन मंदिर की चर्चा करते हुए कहा, “आज जो लोग आतंकवाद को बढ़ावा दे रहे हैं और हमारी विरासत पर दावा करते हैं, उनके अस्तित्व से पहले भी हमारी समृद्ध विरासत थी। यह दिखाता है कि भारत ने सदियों से अपने धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों को संरक्षित किया है।”