नई दिल्ली, 29 अगस्त, 2024: भारतीय नौसेना में आज एक और सशक्त पनडुब्बी का समावेश होने जा रहा है, जिससे देश की समुद्री शक्ति और भी अधिक मजबूत होगी। विशाखापत्तनम के गुप्त जहाज निर्माण केंद्र में आयोजित समारोह में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की उपस्थिति में आईएनएस अरिघात को नौसेना में शामिल किया जाएगा। यह पनडुब्बी परमाणु ऊर्जा से चलने वाली दूसरी पनडुब्बी है, जो समंदर में महीनों तक डूबी रहकर दुश्मनों पर खतरनाक हमले करने में सक्षम है।
आईएनएस अरिघात: दुश्मनों के लिए एक नया काल
आईएनएस अरिघात, भारतीय नौसेना के शक्ति प्रदर्शन का एक और प्रमुख कदम है। यह परमाणु ऊर्जा से संचालित होने वाली पनडुब्बी है, जो के-15 मिसाइलों से लैस है। इस पनडुब्बी की मारक क्षमता 750 किलोमीटर से भी अधिक है, जिससे यह दुश्मनों की हर चाल को नाकाम करने में सक्षम है। के-15 मिसाइलों के साथ, यह पनडुब्बी दुश्मनों के ठिकानों पर बिना किसी पूर्व चेतावनी के सटीक हमला कर सकती है। आईएनएस अरिघात का उद्देश्य भारतीय महासागरों में न केवल सुरक्षा को मजबूत करना है, बल्कि चीन और पाकिस्तान जैसे देशों के बीच खलबली मचाना भी है।
अरिहंत के बाद अब अरिघात: परमाणु त्रयी को और मजबूती
आईएनएस अरिघात को भारतीय नौसेना में शामिल करने से पहले, 2018 में आईएनएस अरिहंत को भी लॉन्च किया गया था। अरिहंत और अरिघात दोनों एक समान डिज़ाइन पर आधारित हैं, लेकिन अरिघात कई मामलों में अधिक उन्नत और सक्षम है। इन दोनों पनडुब्बियों के शामिल होने से भारत की ‘परमाणु त्रयी’ (जमीन, हवा और समुद्र से परमाणु हमले की क्षमता) को और मजबूत किया जा सकेगा। आईएनएस अरिघात अपने पूर्ववर्ती अरिहंत की तुलना में अधिक के-15 मिसाइलों को ले जा सकता है और इस प्रकार, यह दुश्मनों के लिए और भी खतरनाक साबित होगा।
महत्वपूर्ण क्षमताएँ: महीनों तक पानी में डूबे रहने की शक्ति
आईएनएस अरिघात और अरिहंत, दोनों पारंपरिक डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियों से बिल्कुल अलग हैं। पारंपरिक पनडुब्बियों को हर दो दिन में बैटरी को रिचार्ज करने के लिए सतह पर आना पड़ता है, जबकि अरिहंत और अरिघात 83 मेगावाट दबाव वाले लाइट वाटर के रिएक्टरों से संचालित होती हैं, जिससे वे महीनों तक पानी के अंदर रह सकती हैं। इस प्रकार की पनडुब्बियों की खासियत है कि वे बिना सतह पर आए महीनों तक गहरे समुद्र में रह सकती हैं और दुश्मनों को अचानक हमला कर सकते हैं।
चीन की बढ़ती गतिशीलता के जवाब में भारत का सशक्त कदम
भारतीय नौसेना के इस कदम से हिंद महासागर में चीन की बढ़ती गतिविधियों पर भी अंकुश लगेगा। अरिघात के अलावा, भारत सरकार ने तीसरी और चौथी पनडुब्बी के निर्माण को भी मंजूरी दी है। तीसरा एसएसबीएन (परमाणु-चालित पनडुब्बी), जिसे आईएनएस अरिदमन नाम से जाना जाएगा, अगले साल कमीशन किया जाएगा। इसके लिए सरकार ने 90,000 करोड़ रुपये की राशि अलग से जारी की है।