अमेरिका: मंगलवार को अमेरिका ने अपने प्रमुख व्यापारिक साझेदारों कनाडा, मैक्सिको और चीन से आयात होने वाले उत्पादों पर अतिरिक्त शुल्क लगाकर एक बड़े कारोबारी युद्ध की शुरुआत कर दी। अमेरिकी प्रशासन ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की घोषणा को लागू करते हुए इन देशों से आने वाले विभिन्न उत्पादों पर भारी आयात शुल्क लगाया है, जिससे वैश्विक अर्थव्यवस्था पर व्यापक प्रभाव पड़ने की संभावना जताई जा रही है।
अमेरिका का बड़ा फैसला: आयात शुल्क में भारी बढ़ोतरी
अमेरिकी समयानुसार मंगलवार से कनाडा और मैक्सिको से आयात होने वाले स्टील, एल्यूमीनियम और अन्य धातुओं पर 25% का अतिरिक्त शुल्क लगा दिया गया है। वहीं, इन देशों से ऊर्जा उत्पादों के आयात पर 10% का टैक्स लगाया गया है। यह निर्णय अमेरिका के उद्योगों और घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के नाम पर लिया गया है, लेकिन इसके दूरगामी प्रभाव वैश्विक व्यापार पर देखने को मिल सकते हैं।

कनाडा का पलटवार, अमेरिका पर लगाया अतिरिक्त शुल्क
अमेरिका के इस फैसले के जवाब में कनाडा ने भी लगभग 155 अरब डॉलर मूल्य के अमेरिकी आयात पर अतिरिक्त शुल्क लगाने की घोषणा की है। यह पहली बार है जब दो नाटो सहयोगी देश इस स्तर के कारोबारी संघर्ष में उलझे हैं। हाल ही में वॉशिंगटन में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के बीच कड़ी बयानबाजी के बाद अमेरिका और नाटो के अन्य देशों के बीच पहले से ही तनावपूर्ण माहौल बना हुआ है।
चीन पर भी असर, कृषि उत्पादों पर शुल्क बढ़ा
अमेरिकी प्रशासन ने इस ट्रेड वॉर को केवल नाटो तक सीमित नहीं रखा है। चीन से आयात होने वाले सभी उत्पादों पर 20% तक का आयात शुल्क लगाने की घोषणा की गई है। इसके जवाब में चीन ने भी अमेरिका से आयातित कृषि उत्पादों, जिनमें चिकन, सोया, मक्का और बीफ शामिल हैं, पर 15% का अतिरिक्त कर लगा दिया है। वर्ष 2023 में चीन ने अमेरिका से 33 अरब डॉलर मूल्य के कृषि उत्पादों का आयात किया था, जिस पर अब सीधा असर पड़ेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि इस व्यापारिक युद्ध में सबसे अधिक नुकसान चीन को हो सकता है।
वैश्विक व्यापार पर पड़ेगा असर
वर्ष 2024 में चीन ने अमेरिका को 437 अरब डॉलर का निर्यात किया था। प्रौद्योगिकी और अन्य रणनीतिक क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच पहले भी प्रतिबंधों और कड़े नियमों का सामना किया गया है, लेकिन कृषि और अन्य सामान्य उत्पादों पर इस तरह के नीतिगत शुल्क पहले कभी नहीं लगाए गए थे।
अब तक जी-20 देशों (दुनिया के शीर्ष 20 आर्थिक शक्ति संपन्न देशों) में अमेरिका, चीन, मैक्सिको और कनाडा शामिल हैं, लेकिन यह पहली बार है जब इन देशों ने एक-दूसरे के व्यापार पर इतनी सख्ती से शुल्क बढ़ाने का निर्णय लिया है। इससे वैश्विक अर्थव्यवस्था को गहरा झटका लग सकता है, जो पहले से ही भू-राजनीतिक अस्थिरता और मंदी की मार झेल रही है।

यूक्रेन-रूस युद्ध और पश्चिम एशिया में तनाव के बीच बढ़ा संकट
अमेरिका और यूरोप के बीच यूक्रेन-रूस युद्ध को लेकर पहले ही संबंधों में तनाव है। अमेरिका और रूस के बीच संबंधों में हाल के दिनों में कुछ नरमी देखी गई है, लेकिन इससे यूरोपीय सहयोगी देश असहज महसूस कर रहे हैं। वहीं, पश्चिम एशिया में पहले से ही संघर्ष की स्थिति बनी हुई है।
इसके अलावा, द्विपक्षीय व्यापार समझौतों को सुलझाने में अहम भूमिका निभाने वाला विश्व व्यापार संगठन (WTO) भी अपना प्रभाव खो चुका है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस ट्रेड वॉर का अंत जल्द होने के आसार नहीं दिख रहे हैं।
भारत के लिए क्या मायने रखता है यह ट्रेड वॉर?
विशेषज्ञों का मानना है कि इस ट्रेड वॉर का भारत पर सीधा असर नहीं पड़ेगा, लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से भारत को नए अवसर मिल सकते हैं। वैश्विक व्यापार पर शोध करने वाली एजेंसी GTRI के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा कि अमेरिका का यह कदम भारत के लिए एक चेतावनी हो सकता है।
राष्ट्रपति ट्रंप की छवि पुराने व्यापारिक समझौतों को रद्द करने की रही है। उन्होंने 2018 में नाफ्टा को खत्म कर अमेरिका-कनाडा-मेक्सिको व्यापार समझौता लागू किया था। ट्रंप इसी तरह की रणनीति अपनाकर अन्य देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौते (FTA) के लिए दबाव बनाते हैं। भारत ने अब तक इस दबाव का सफलतापूर्वक सामना किया है, लेकिन उसे सतर्क रहना होगा।