नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को नीति आयोग की 10वीं गवर्निंग काउंसिल बैठक की अध्यक्षता करेंगे। इस अहम बैठक में भारत को वर्ष 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने की दिशा में ‘विकास रोडमैप’ तैयार करने पर विचार किया जाएगा। इस बैठक को ‘भारत@2047’ मिशन के तहत बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद यह प्रधानमंत्री की पहली बड़ी बैठक है जिसमें सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्री व उपराज्यपाल शिरकत करेंगे।

बैठक का मुख्य एजेंडा: अर्थव्यवस्था और विकास चुनौतियां
बैठक में वित्त वर्ष 2025-26 के बजट में की गई नीतिगत पहलों, वैश्विक आर्थिक चुनौतियों और देश की आर्थिक प्रगति पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
अमेरिका द्वारा जवाबी शुल्क (Retaliatory Tariffs) लगाए जाने और अमेरिकी अर्थव्यवस्था के मंदी की ओर बढ़ने, साथ ही चीन की वृद्धि दर में गिरावट और वैश्विक आर्थिक सुस्ती के चलते भारतीय अर्थव्यवस्था दबाव में है।
फिर भी सरकार को आशा है कि भारत की वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष में 6.2% से 6.7% के बीच बनी रहेगी।
आईएमएफ और विश्व बैंक ने घटाया भारत का विकास अनुमान
हाल ही में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) और विश्व बैंक ने वैश्विक अस्थिरता और व्यापार तनाव का हवाला देते हुए भारत के लिए वित्त वर्ष 2025-26 की विकास दर के अनुमानों को घटाकर क्रमशः 6.2% और 6.3% कर दिया है।
जबकि जनवरी 2025 में यही संस्थाएं भारत की विकास दर 6.5% और 6.7% आंक रही थीं।
नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल: शीर्ष नीति निर्धारण संस्था
नीति आयोग की यह गवर्निंग काउंसिल भारत की संघीय शासन प्रणाली में सहयोग और समन्वय का प्रमुख मंच है। इसमें देश के सभी मुख्यमंत्री, केंद्र शासित प्रदेशों के उपराज्यपाल और केंद्रीय मंत्री शामिल होते हैं।
प्रधानमंत्री मोदी इसके अध्यक्ष हैं।

पिछले वर्ष आयोजित गवर्निंग काउंसिल की बैठक में 10 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने भाग नहीं लिया था। उस समय यह राजनीतिक असहमति और विपक्षी दलों की नाराजगी के रूप में देखा गया था।
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन दिल्ली पहुंचे
बैठक से एक दिन पहले, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन दिल्ली पहुंचे और डीएमके नेताओं द्वारा उनका जोरदार स्वागत किया गया।
स्टालिन ने कांग्रेस नेता सोनिया गांधी और राहुल गांधी से भी मुलाकात की।
उन्होंने इस मुलाकात को “परिवार से मिलने जैसा” बताया और इसे महज राजनीतिक यात्रा नहीं माना।
इससे आगामी लोकसभा चुनाव 2026 से पहले विपक्षी एकजुटता के संकेत मिल रहे हैं।