गुजरात: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार से अपने गृह राज्य गुजरात के दो दिवसीय दौरे पर हैं, जहां वह 77,400 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाली विभिन्न विकास परियोजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण करेंगे। इस दौरे की शुरुआत दाहोद से होगी, जहां प्रधानमंत्री भारतीय रेलवे के लोकोमोटिव विनिर्माण संयंत्र का उद्घाटन करेंगे। यह संयंत्र भारत में 9000 हॉर्सपावर (HP) के अत्याधुनिक इलेक्ट्रिक इंजनों का निर्माण करेगा।

दाहोद में लोकोमोटिव संयंत्र राष्ट्र को समर्पित
प्रधानमंत्री मोदी सोमवार को दाहोद में बने इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव फैक्ट्री को राष्ट्र को समर्पित करेंगे। यहां से निर्मित पहले इंजन को वह हरी झंडी दिखाकर रवाना भी करेंगे। यह संयंत्र घरेलू जरूरतों के साथ-साथ निर्यात को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। यह भारतीय रेल की मालवाहक क्षमता में वृद्धि करने के साथ-साथ आत्मनिर्भर भारत मिशन को भी मजबूती देगा।
24,000 करोड़ रुपये की विकास परियोजनाओं का शिलान्यास
दाहोद के कार्यक्रम के बाद प्रधानमंत्री करीब 24,000 करोड़ रुपये की लागत की विभिन्न परियोजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण करेंगे। इन परियोजनाओं में रेलवे, सड़क, जल आपूर्ति, शहरी विकास और स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़ी योजनाएं शामिल हैं। इन परियोजनाओं का लक्ष्य गुजरात के पूर्वी आदिवासी क्षेत्रों में कनेक्टिविटी और बुनियादी ढांचे को सुदृढ़ करना है।
भुज में 53,400 करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाएं
सोमवार शाम को प्रधानमंत्री कच्छ जिले के भुज जाएंगे, जहां वह 53,400 करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास करेंगे। भुज में आयोजित सार्वजनिक सभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री स्थानीय जनता से सीधा संवाद भी करेंगे।
इन परियोजनाओं में नवीकरणीय ऊर्जा, जल प्रबंधन, शहरी बुनियादी ढांचा, और औद्योगिक विकास से जुड़े प्रोजेक्ट प्रमुख हैं। इनसे कच्छ और आसपास के क्षेत्रों में रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।

जनसभा और शहरी विकास वर्ष 2025 की घोषणा
प्रधानमंत्री मंगलवार को गांधीनगर में आयोजित गुजरात शहरी विकास मिशन की 20वीं वर्षगांठ पर विशेष समारोह में भाग लेंगे। इस दौरान वह ‘शहरी विकास वर्ष 2025’ का औपचारिक शुभारंभ भी करेंगे। इस पहल के अंतर्गत स्वच्छता, हरित ऊर्जा, आवास और कनेक्टिविटी पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
परियोजनाओं से होगा जनहित में सीधा लाभ
इन सभी परियोजनाओं का उद्देश्य है जन-जन तक विकास पहुंचाना, जिससे ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में रोजगार, सुविधा और तकनीक आधारित सेवा मिल सके। दाहोद संयंत्र के माध्यम से भारत न केवल रेलवे इंजन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनेगा, बल्कि निर्यात के लिए भी नया अवसर सृजित करेगा।