ढाका, बांग्लादेश: बांग्लादेश की राजनीति में एक बड़ा घटनाक्रम सामने आया है। देश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना और उनके परिवार के नौ सदस्यों के राष्ट्रीय पहचान पत्र (National Identity Card – NID) को चुनाव आयोग द्वारा “लॉक” कर दिया गया है। यह कार्रवाई राष्ट्रीय पहचान पंजीकरण विंग (NID Registration Wing) के महानिदेशक एएसएम हुमायूं कबीर के मौखिक निर्देश पर की गई।

एनआईडी ‘लॉक’ होने के क्या मायने हैं?
चुनाव आयोग के अधिकारियों ने बताया कि किसी भी एनआईडी को “लॉक” तब किया जाता है जब व्यक्ति के दस्तावेजों में गड़बड़ी पाई जाए या उसके खिलाफ कोई जांच या कानूनी कार्रवाई प्रचलित हो। इस स्थिति में एनआईडी का उपयोग अस्थायी रूप से रोक दिया जाता है, जैसे बैंकिंग, पासपोर्ट या सरकारी योजनाओं से संबंधित कामकाज में।
सूत्रों के अनुसार, शेख हसीना और उनके परिजनों की एनआईडी को आंतरिक जांच और गलत सूचना के संदेह में लॉक किया गया है। हालांकि, अधिकारियों ने यह भी स्पष्ट किया कि यह एक अस्थायी प्रक्रिया है और जांच पूरी होने के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो पाएगी।
अतिविशिष्ट व्यक्तियों की सुरक्षा के लिए भी किया जाता है ‘लॉक’
एनआईडी विंग के अनुसार, कई बार यह लॉक प्रक्रिया अतिविशिष्ट व्यक्तियों (VVIPs) की निजी जानकारी की सुरक्षा हेतु भी अपनाई जाती है। ऐसे मामलों में व्यक्ति की निजता और उनकी पहचान की गोपनीयता बनाए रखने के लिए, उनके अनुरोध पर एनआईडी लॉक कर दी जाती है ताकि उसका कोई दुरुपयोग न कर सके।

इंटरपोल से रेड नोटिस जारी करने का अनुरोध
इस पूरे घटनाक्रम के बीच, बांग्लादेश सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना और 11 अन्य लोगों के खिलाफ इंटरपोल से रेड नोटिस जारी करने का अनुरोध भी किया है। यह कदम सरकार द्वारा उनके खिलाफ चल रही वर्तमान जांचों और आरोपों को वैश्विक स्तर पर मान्यता दिलाने और उनकी गिरफ्तारी सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है।
रेड नोटिस, इंटरपोल द्वारा जारी किया जाने वाला वह वैश्विक अलर्ट होता है जो सदस्य देशों को संदिग्ध या वांछित व्यक्ति के बारे में सतर्क करता है, जिससे वह व्यक्ति उस देश में आते ही गिरफ्तार किया जा सके।