पिलानी, 17 मई 2025: पिलानी के विद्याविहार नगरपालिका क्षेत्र में मन्दिर माफी भूमि की 90 ए कार्रवाई को लेकर चल रहा विवाद गहराता जा रहा है। सीरी कैंपस के पीछे स्थित 57 बीघा देव भूमि के 90-ए रूपांतरण को बिना आपत्तियों का निस्तारण किए मंजूरी दिए जाने के मामले में अब सतर्कता जांच शुरू हो गई है। राजस्थान स्थानीय निकाय विभाग के सहायक निदेशक (सतर्कता) विनीत कुमार सुखाड़िया पिलानी विद्याविहार नगरपालिका पहुंचे और कार्यालय में मामले की पत्रावली की जांच की। उन्होंने आपत्तिकर्ताओं से मुलाकात कर उनका पक्ष जाना और विवादित भूमि का निरीक्षण भी किया।
आपको बता दें कि इस भूमि का संबन्ध ऐतिहासिक श्री रघुनाथ मन्दिर से है। मन्दिर माफी की इस भूमि के रूपांतरण के खिलाफ रघुनाथ मंदिर ट्रस्ट के सदस्य छोटेलाल वर्मा, देवी सिंह और नगरपालिका के ही 4 पार्षदों ने कई स्तरों पर आपत्तियां दर्ज करवा रखी हैं। इनका आरोप है कि डीएलबी, जिला कलेक्टर, उपखण्ड अधिकारी, तहसीलदार और नगरपालिका सभी को मामले की जानकारी थी, फिर भी इसे नजरअंदाज किया गया।
आपत्तिकर्ताओं का कहना है कि यह आस्था और परम्परा से जुड़ी संपत्ति है, जिसे मन्दिर पुजारी के साथ मिलकर भू माफिया हथियाना चाहते हैं।

ईओ की नियुक्ति पर भी उठे सवाल
इस मामले में जिला कलेक्टर की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। स्वायत्त शासन विभाग के ही आदेशों के अनुसार केवल RAS, RTS और RMS अधिकारियों को ही अधिशाषी अधिकारी पद का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा जा सकता है। लेकिन 22 अप्रैल को जिला कलेक्टर द्वारा विद्याविहार नगरपालिका में नगर परिषद झुंझुनू के एईएन (विद्युत) अनिल चौधरी को कार्यवाहक ईओ नियुक्त कर दिया गया।
चौंकाने वाली बात यह रही कि पोस्टिंग के दो दिन के भीतर ही कार्यवाहक ईओ चौधरी ने मन्दिर माफी भूमि की इस 57 बीघा भूमि के लिए 90-ए रूपांतरण की मंजूरी जारी कर दी। इस कार्रवाई को लेकर भ्रष्टाचार और सांठगांठ के गंभीर आरोप सामने आ रहे हैं।
विजिलेंस अधिकारी ने माना अनियमितता हुई है
सहायक निदेशक (सतर्कता) विनीत कुमार सुखाड़िया ने मीडिया के सामने 90 ए स्वीकृति पर कोई टिप्पणी नहीं की, हालांकि उन्होंने यह जरूर कहा कि लैंड कन्वर्जन के इस मामले में अनियमितता हुई है। उन्होंने कहा कि इस प्रकरण में आपत्तियों को नजरअंदाज किया गया, कानूनी स्थिति का अवलोकन नहीं किया गया और आपत्तिकर्ताओं को भी नहीं सुना गया साथ ही सार्वजनिक सूचना को सीमित पहुंच वाले समाचार पत्र में प्रकाशित किया गया। यह सब प्रक्रिया के विपरीत है और जांच का विषय बनता है।
ईओ ने खुद की तुलना भगत सिंह से की
जांच के दौरान उस समय विवाद की स्थिति बन गई जब आपत्तिकर्ता देवी सिंह ने अनिल चौधरी पर पूर्व में भ्रष्टाचार के मामले में जेल जाने की बात कही। इस पर चौधरी ने जवाब दिया कि भगत सिंह भी तो जेल गए थे। इस टिप्पणी पर वहां मौजूद लोगों ने नाराजगी जताई और दोनों पक्षों में तीखी बहस हो गई।
पूर्व आदेश भी हुए दरकिनार
आपत्तिकर्ताओं का कहना है कि 2017 में जब पहली बार रूपांतरण की कोशिश की गई थी, तब भी नियमों का उल्लंघन हुआ था और न्यायालय ने स्थगन आदेश जारी किया था। फिर भी भूमाफिया सक्रिय रहे और कोर्ट के आदेशों की अनदेखी कर निर्माण कार्य जारी रखा गया। विद्या विहार नगरपालिका की पूर्व ईओ प्रियंका बुडानिया ने भी एक बार इस भूमि पर सभी कार्य रुकवाने के निर्देश दिए थे, लेकिन उसे भी दरकिनार कर दिया गया।

भू-माफियाओं और प्रशासनिक तंत्र की मिलीभगत पर नाराजगी
स्थानीय लोगों और पार्षदों का आरोप है कि इस पूरी कवायद के पीछे भू-माफिया सक्रिय हैं, जो मन्दिर की संपत्तियों को प्राइवेट प्लॉट्स में तब्दील कर मोटा मुनाफा कमाना चाहते हैं।
शिकायत दर्ज करवाने वाले लोगों के अनुसार, कई स्थानीय अधिकारियों की मिलीभगत से यह रूपांतरण करवाया गया और इसके बदले भारी लेन-देन की आशंका है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
भू-अधिकार मामलों के विशेषज्ञ अधिवक्ताओं का कहना है कि मन्दिर माफी भूमि की स्थिति पूरी तरह स्पष्ट है। “कानूनन पुजारी उसका स्वामी नहीं हो सकता, रूपांतरण की कोई वैधानिक प्रक्रिया ऐसी संपत्तियों पर लागू नहीं होती जब तक सभी आपत्तियों का निस्तारण न हो जाए। यह मामला न्यायालय की अवमानना और सरकारी प्रक्रिया की अनदेखी दोनों है।”
अब आगे क्या?
स्थानीय निकाय विभाग की सतर्कता जांच के बाद रिपोर्ट मुख्यालय भेजी जाएगी। उम्मीद की जा रही है कि इस आधार पर रूपांतरण की वैधता पर पुनर्विचार होगा। आपत्तिकर्ताओं की मांग है कि इस जमीन को देवभूमि घोषित कर इसके संरक्षण हेतु विशेष समिति गठित की जाए।