पाकिस्तान: भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते सैन्य तनाव के बीच ऑपरेशन सिंदूर भारतीय सेना की एक बड़ी कामयाबी के रूप में सामने आया है। भारत ने पाकिस्तान में घुसकर आतंकियों के ठिकानों पर सटीक और घातक हमला करते हुए आतंकवाद को करारा जवाब दिया। इसके बाद बौखलाए पाकिस्तान ने 8-9 मई की रात को भारत के 36 सैन्य और सामरिक ठिकानों पर 400 से अधिक ड्रोन दागे, जिन्हें भारतीय एयर डिफेंस सिस्टम ने प्रभावी ढंग से नष्ट कर दिया।

पाकिस्तान के एयरबेस तबाह, भारतीय मिसाइलों का कहर
भारतीय सेना ने इसके जवाब में पाकिस्तान पर जबरदस्त पलटवार करते हुए एक साथ कई रणनीतिक ठिकानों को निशाना बनाया।
विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार, भारत के मिसाइल और ड्रोन हमलों ने पाकिस्तान के कम से कम आठ एयर फोर्स बेस को बुरी तरह से क्षतिग्रस्त कर दिया है। इसके अलावा रडार सिस्टम, एयर डिफेंस इंस्टॉलेशंस और रनवे को भी व्यापक नुकसान पहुंचा है।
यह हमला न केवल सैन्य दृष्टिकोण से बल्कि मनोवैज्ञानिक रूप से भी पाकिस्तान के लिए बड़ा झटका है।
हार के बाद भी पाकिस्तान का ढोल: मुनीर को बना दिया फील्ड मार्शल
भारत से इस करारी शिकस्त के बावजूद पाकिस्तान की सेना अपनी पीठ खुद थपथपा रही है। हार की शर्मनाक परिस्थितियों में पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल आसिम मुनीर को फील्ड मार्शल के पद पर पदोन्नत कर दिया गया।
यह पद पाकिस्तान में अब तक केवल एक बार 1959 में जनरल अयूब खान को मिला था। ऐसे में यह फैसला बेहद चौंकाने वाला माना जा रहा है।
क्या होता है फील्ड मार्शल का पद?
- फील्ड मार्शल सेना का सर्वोच्च सैन्य पद होता है, जो जनरल से भी ऊंचा होता है।
- इस पद को आमतौर पर असाधारण युद्ध कौशल, रणनीतिक नेतृत्व या विशेष सैन्य सेवाओं के लिए प्रदान किया जाता है।
- फील्ड मार्शल की वर्दी पर पांच सितारे लगे होते हैं और वह आजीवन सक्रिय सेवा में माने जाते हैं।
- उन्हें जनरल के बराबर वेतन, भत्ते, आवास, सुरक्षा और चिकित्सा सुविधाएं प्राप्त होती हैं।
मुनीर की सैलरी और ताकत
रिपोर्ट्स के अनुसार, फील्ड मार्शल बनने के बाद भी आसिम मुनीर को अब तक मिलने वाले वेतन में कोई बड़ा अंतर नहीं आया है।
वह पहले भी पाकिस्तानी सेना प्रमुख के रूप में 2.5 लाख पाकिस्तानी रुपये मासिक (लगभग ₹75,000 भारतीय रुपये) पाते थे।
हालांकि, उनका रुतबा अब कहीं ज्यादा बढ़ चुका है।
मुनीर अब 2027 तक आर्मी चीफ बने रहेंगे, और माना जा रहा है कि उन्होंने पहले ही कार्यकाल को तीन साल से बढ़ाकर पांच साल करवा लिया था।

शहबाज सरकार का डर या एहसान?
इस पदोन्नति को लेकर पाकिस्तान में सियासी हलचल तेज है।
सूत्रों के अनुसार, शहबाज शरीफ सरकार को डर था कि कहीं जनरल मुनीर सैन्य तख्तापलट न कर दें, इसलिए उन्हें संतुष्ट करने के लिए यह बड़ा कदम उठाया गया।
साथ ही यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि फरवरी 2024 में हुए आम चुनाव में पाकिस्तानी सेना के समर्थन से बनी शहबाज सरकार अब मुनीर की ‘मेहरबानी’ का बदला चुका रही है।
इस पर विरोधी दलों और आम जनता की तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं, जो सरकार से सवाल कर रही है कि एक विफलता के बाद इनाम क्यों?