राजस्थान के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट को 10 महीने में दो प्रमोशन देकर कांग्रेस आलाकमान ने चौंका दिया है। सचिन पायलट ने 2020 में बगावत कांग्रेस को मुश्किल में डाल दिया था। जबकि पिछली पांच में सचिन पायलट गहलोत सरकार को संकट में डालने वाले बयान देते रहे हैं। ऐसा सियासी जानकारों का कहना है। राजस्थान के राजनीतिक विश्लेषक सचिन पायलट को ज्यादा तवज्जो देने के अलग- अलग सियासी मायने निकाल रहे है। ऐसा माना जा रहा है कि पायलट को जिम्मेदारी देने के फैसले में प्रियंका गांधी का असर देखा जा रहा है। बड़ा सवाल यह है कि कांग्रेस को चुनाव में इससे कितना फायदा होगा?
प्रियंका गांधी की वजह से मिला प्रमोशन?
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि प्रियंका गांधी की वजह से ही सचिन पायलट पर कोई कार्रवाई नहीं हुई थी। जबकि सचिन पायलट ने गहलोत सरकार को पूरे पांच साल तक मुश्किल में डाले रखा था। सचिन पायलट पर कार्रवाई नहीं होने से कांग्रेस को नुकसान झेलना पड़ा है। सियासी जानकारों के अनुसार सचिन पायलट अशोक गहलोत के पूरे कार्यकाल में खुलेआम विद्रोह करते रहे। बीजेपी के साथ मिल कर सरकार बनाने की धमकी देते रहे।
कांग्रेस को गुर्जरों के वोट नहीं मिले
सचिन पायलट के प्रभाव वाले दौसा और टोंक में कांग्रेस को गुर्जरों के वोट नहीं मिले है। पूर्वी राजस्थान के अलवर, भरतपुर और दौसा में कांग्रेस ने करीब 25 सीटें गंवा दी। जिसकी वजह से कांग्रेस सरकार रिपीट नहीं हो पाई। दौसा में कांग्रेस को सिर्फ पांच में से एक सीट मिली है। जबकि भरतपुर में 7 में से एक भी सीट नहीं मिली है। अलवर में करीब 4 सीटों का नुकसान उठाना पड़ा है। अगर कांग्रेस को ये सीटें मिल जातीं तो वो सरकार बना सकती थी। इसके बावजूद सचिन पायलट को छत्तीसगढ़ का प्रभारी बना कर पुरस्कृत किया गया। इससे पहले कांग्रेस ने करीब 10 महीने पहले सचिन पायलट को एआईसीसी का सदस्य बनाया था। जबकि अब पार्टी महासचिव बनाया है।
कांग्रेस की रणनीति से ज्यादा मजूबरी
सियासी जानकारों का कहना है कि सचिन पायलट को प्रमोशन देने के पीछे कांग्रेस की रणनीति से ज्यादा मजूबरी दिखाई दे रही है। कांग्रेस के युवा नेता बीजेपी में शामिल हो चुके हैं। ऐसे में पार्टी आलाकमान को डर है कि सचिन पायलट की अनदेखी से वह बीजेपी का दामन न थाम ले। शायद यही वजह है कि कांग्रेस सचिन पायलट की बगावत को नजर अंदाज कर प्रमोशन दे रही है। दूसरी वजह यह भी मानी जा रही है कि सचिन पायलट को राजस्थान से बाहर कर गहलोत के लिए मैदान खुला छोड़ दिया है। इससे यह भी संकेत मिल रहे हैं कि सचिन पायलट नेता प्रतिपक्ष और पीसीसी चीफ की रेस से बाहर हो चुके है।