मुंबई: लीलावती कीर्तिलाल मेहता मेडिकल ट्रस्ट (LKMM) ने एक गंभीर बयान जारी करते हुए HDFC बैंक के प्रबंध निदेशक और CEO शशिधर जगदीशन को सस्पेंड करने और उनके खिलाफ मुकदमा चलाने की मांग की है। ट्रस्ट ने यह मांग मुंबई मजिस्ट्रेट कोर्ट के 30 मई को दिए गए आदेश और बांद्रा पुलिस स्टेशन में दर्ज एफआईआर के आधार पर की है।
कोर्ट के आदेश के बाद दर्ज हुई FIR
30 मई 2025 को मुंबई मजिस्ट्रेट कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिए कि शशिधर जगदीशन और सात अन्य के खिलाफ प्राथमिक दृष्टया पर्याप्त साक्ष्य उपलब्ध हैं, इसलिए उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए। कोर्ट के आदेश के बाद बांद्रा पुलिस स्टेशन ने केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
FIR में आरोप है कि ट्रस्ट के एक पूर्व सदस्य ने जगदीशन को ट्रस्ट के एक मौजूदा सदस्य के पिता को मानसिक रूप से प्रताड़ित करने के लिए ₹2.05 करोड़ की राशि दी थी। यह ट्रांजैक्शन एक हाथ से लिखी डायरी में दर्ज था, जिसे कोर्ट में सबूत के तौर पर पेश किया गया।

HDFC बैंक की चुप्पी
अभी तक HDFC बैंक की ओर से इस मामले में कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। बैंक पर पहले भी आरोप लग चुके हैं कि वह लीलावती ट्रस्ट के आंतरिक विवादों में पक्षपात कर रहा है।
ट्रस्ट विवाद की पृष्ठभूमि
लीलावती अस्पताल का निर्माण 1997 में हीरा व्यापारी किशोर मेहता ने करवाया था। बाद में उनके भाई विजय मेहता के परिवार को भी ट्रस्टी बोर्ड में शामिल किया गया।
आरोप यह हैं कि 2002-03 में विजय मेहता के परिजनों ने कथित रूप से फर्जी हस्ताक्षरों के जरिए ट्रस्ट का नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया, उस समय किशोर मेहता विदेश में इलाज करवा रहे थे। किशोर और विजय दोनों का अब निधन हो चुका है, लेकिन उनके परिवारों के बीच ट्रस्ट के नियंत्रण को लेकर कानूनी लड़ाई जारी रही।
2023 में लंबी कानूनी प्रक्रिया के बाद ट्रस्ट का नियंत्रण किशोर मेहता के परिजनों को मिला।

ट्रस्ट की जांच में सामने आईं चौंकाने वाली बातें
मार्च 2025 में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में अस्पताल के कार्यकारी निदेशक परमबीर सिंह (मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर) और किशोर मेहता के पुत्र प्रशांत मेहता ने फोरेंसिक जांच की रिपोर्ट प्रस्तुत की।
इस रिपोर्ट में ₹1,200 से ₹1,500 करोड़ के फंड डायवर्जन के आरोप लगाए गए। साथ ही अस्पताल परिसर में कथित तौर पर काले जादू की रस्मों का भी उल्लेख था। इन गंभीर आरोपों को पूर्व ट्रस्टियों ने “मनगढ़ंत और बेबुनियाद” बताया है।
बकाया लोन और कोर्ट की कार्रवाई
2004 में डेट रिकवरी ट्रिब्यूनल (DRT) ने ब्यूटीफुल डायमंड्स कंपनी (किशोर मेहता की फर्म) को ₹14.74 करोड़ HDFC बैंक को चुकाने का आदेश दिया था।
2020 में DRT ने गिरफ्तारी आदेश, बैंक खाते सीज करने और विदेश यात्रा पर रोक लगाने जैसे आदेश जारी किए थे, जिसे बाद में बॉम्बे हाई कोर्ट ने स्थगित कर दिया।
सितंबर 2024 में हाई कोर्ट ने माना कि किशोर मेहता परिवार का यह दावा कि बैंक उन्हें परेशान कर रहा है, “बकाया चुकाने से बचने का प्रयास” था।