नई दिल्ली: हाल के समय में लोन रिकवरी एजेंट्स के द्वारा लोगों को परेशान किए जाने की घटनाएँ बढ़ती जा रही हैं। सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के तमाम प्रयासों के बावजूद, इन मामलों में कमी नहीं आ रही है। इस समस्या की ताजगी एक नए मामले में सामने आई है, जहां पीड़ित को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का समर्थन मिला है।
सोशल मीडिया पर माधव की आपबीती
माधव नाम के एक सोशल मीडिया यूजर ने अपनी परेशानी को एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर साझा किया। उन्होंने लिखा कि उन्हें नवी फाइनेंस नामक एक फाइनेंस ऐप के द्वारा लगातार परेशान किया जा रहा है, जबकि उन्होंने इस ऐप से कोई लोन नहीं लिया है। माधव ने बताया कि किसी अन्य व्यक्ति ने लोन लिया है और उनका नंबर बिना जानकारी के दे दिया गया है। इस पोस्ट के साथ माधव ने वित्त मंत्रालय और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के कार्यालय को टैग किया।
वित्त मंत्री का त्वरित प्रतिक्रिया
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने माधव की शिकायत का संज्ञान लेते हुए वित्तीय सेवा विभाग (डीएफएस) को तुरंत मामले की जांच करने का निर्देश दिया। डीएफएस ने नवी फाइनेंस के सामने इस मुद्दे को रखा और उपयुक्त कदम उठाने के लिए कहा। मामले की जांच में पाया गया कि माधव ने नवी फाइनेंस से कोई लोन नहीं लिया था, फिर भी उन्हें रिकवरी एजेंट्स द्वारा फोन किया जा रहा था।
लोकसभा में भी उठा मुद्दा
यह पहली बार नहीं है जब वित्त मंत्री ने लोन रिकवरी एजेंट्स के दुर्व्यवहार पर कड़ा रुख अपनाया है। पिछले साल लोकसभा में उन्होंने इस मुद्दे पर बात करते हुए सभी सरकारी और प्राइवेट बैंकों को लोन रिकवरी में सख्त कदम उठाने से बचने के लिए कहा था। उन्होंने उस समय बताया था कि बैंकों द्वारा लोन रिकवरी में असंवेदनशील होने की शिकायतें मिल रही हैं। उसके बाद सरकार ने आरबीआई के माध्यम से बैंकों को निर्देश दिया।
लोन रिकवरी के मुद्दों पर सरकार के प्रयास
सरकार और आरबीआई लगातार लोन रिकवरी एजेंट्स के दुर्व्यवहार को रोकने के लिए प्रयासरत हैं। बैंकों और फाइनेंस कंपनियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे अपने एजेंट्स को उचित प्रशिक्षण दें और किसी भी प्रकार की असंवेदनशीलता या दुर्व्यवहार की स्थिति में सख्त कार्रवाई करें। इस प्रकार के मामलों को गंभीरता से लेते हुए, सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि पीड़ितों को त्वरित न्याय मिल सके।