नई दिल्ली: संसद के मानसून सत्र में सोमवार को जब लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर को लेकर चर्चा हो रही थी, तब एक अलग ही माहौल देखने को मिला। चर्चा के दौरान जब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने देश की वायुसेना की बहादुरी और साहस की सराहना करते हुए सदन के सभी सदस्यों से मेज थपथपाकर समर्थन जताने का आग्रह किया, तब विपक्ष की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई। खासकर नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस के अन्य सांसद इस दौरान शांत बैठे रहे और किसी भी प्रकार का समर्थन नहीं दर्शाया।
रक्षा मंत्री ने विपक्ष की उस सोच पर भी सवाल उठाया, जिसमें ऑपरेशन सिंदूर के दौरान वायुसेना को हुए नुकसान के बारे में पूछा गया था। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस पूरे अभियान में भारतीय वायुसेना को कोई नुकसान नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि विपक्ष को यह पूछने की बजाय यह जानने में रुचि लेनी चाहिए थी कि दुश्मन पक्ष को कितना नुकसान पहुंचा, उनके कितने विमान मार गिराए गए। रक्षा मंत्री ने विपक्ष की इस प्रतिक्रिया को देश की भावना के विपरीत बताया और कहा कि यह सुरक्षा बलों के मनोबल को ठेस पहुंचाने जैसा है।
यह दृश्य तब और भी चर्चा में आ गया जब सत्ता पक्ष के सांसदों ने जोरदार तरीके से सेना की सराहना की, लेकिन विपक्षी बेंच से कोई उत्साह नहीं दिखा। सोशल मीडिया पर भी इस घटना को लेकर प्रतिक्रियाएं आने लगी हैं, जिसमें जनता यह सवाल उठा रही है कि विपक्ष राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर एकजुटता क्यों नहीं दिखा पा रहा है।
संसद में यह बहस उस वक्त हुई जब ऑपरेशन सिंदूर को लेकर देशभर में चर्चा चल रही है और वायुसेना की रणनीतिक सफलता को लेकर सरकार देशवासियों से समर्थन की उम्मीद कर रही है। ऐसे में लोकसभा में विपक्ष की ओर से मिली इस चुप्पी को राजनीतिक विश्लेषक भी विशेष नजरिए से देख रहे हैं।