जयपुर, राजस्थान: राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने एक बार फिर अपने बयान से राजनीति के गलियारों में हलचल मचा दी है। वसुंधरा राजे ने पद, कद और मद का जिक्र करते हुए कई राजनीतिक मायने निकालने के संकेत दिए हैं। इस बयान के बाद सियासी विश्लेषकों का मानना है कि राजे ने अपनी अनदेखी का दर्द छलकाया है और अपने विरोधियों पर निशाना साधा है।
बयान का राजनीतिक मतलब
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि वसुंधरा राजे अपने बयान से अपनी अनदेखी का इशारा कर रही हैं। उनका मानना है कि पार्टी आलाकमान ने उन्हें नजरअंदाज किया है, जिससे वे दुखी हैं। साथ ही, उन्होंने उम्मीद जताई है कि देर-सवेर पार्टी उन्हें फिर से राजस्थान की कमान सौंप सकती है। राजे ने अपने बयान में मद का जिक्र करते हुए अपने विरोधियों को भी इशारों में निशाना बनाया है। हालांकि, उन्होंने किसी का नाम नहीं लिया, लेकिन माना जा रहा है कि उनका निशाना बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व है।
पार्टी नेतृत्व पर सवाल
राजे ने कहा कि पार्टी नेतृत्व ने उनकी अनदेखी की है, जो कि दो बार मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री रहने के बावजूद निंदनीय है। उन्होंने मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का उदाहरण देते हुए कहा कि उन्हें केंद्र में बड़ा पद मिल गया है, जबकि उनके साथ ऐसा नहीं हुआ।
मदन राठौड़ की ताजपोशी
बीजेपी के नए प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ की ताजपोशी के दौरान वसुंधरा राजे ने साफ कहा, “राजनीति का दूसरा नाम उतार-चढ़ाव है। हर व्यक्ति को इस दौर से गुजरना पड़ता है। इसमें व्यक्ति के समक्ष तीन चीजें आती हैं – पद, मद और कद। पद और मद स्थाई नहीं होते, लेकिन कद स्थाई होता है। राजनीति में यदि किसी को पद का मद आ जाए तो फिर उसका कद कम हो जाता है। आजकल लोगों को पद का मद आ ही जाता है, लेकिन मदन जी को मैं जानती हूँ, उनमें पद का मद नहीं आएगा। मेरी नज़र में सबसे बड़ा पद है – जनता की चाहत, जनता का प्यार और जनता का विश्वास। यह ऐसा पद है, जिसे कोई छीन नहीं सकता।”
संगठन में सबको खुश रखना मुश्किल
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि पार्टी के भीतर सबको खुश नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि संगठन में सबको साथ लेकर चलना मुश्किल काम है और बहुत सारे लोग इसमें विफल रहे हैं। वसुंधरा राजे ने इशारा किया कि राजनीति में किसी को भी अपने पद का घमंड नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा, “यदि किसी को पद का मद आ जाए, तो फिर उसका कद कम हो जाता है। आजकल लोगों को पद का मद आ ही जाता है, लेकिन मदन जी को कभी पद का मद नहीं आएगा। मेरी नज़र में सबसे बड़ा पद जनता का विश्वास है और यह ऐसा पद है, जिसे कोई भी छीन नहीं सकता।”