बेंगलुरु: जनता दल (सेक्युलर) के पूर्व सांसद प्रज्वल रेवन्ना को बेंगलुरु की विशेष अदालत ने एक गंभीर मामले में दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई है। रेवन्ना पर उनकी घरेलू सहायिका के साथ बार-बार रेप, ब्लैकमेल और अश्लील वीडियो बनाने जैसे संगीन आरोप थे। अदालत ने उन्हें भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं और आईटी एक्ट के तहत दोषी मानते हुए अधिकतम सजा सुनाई है। इस मामले में रेवन्ना पर 11 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है, जिसमें से 11 लाख रुपये पीड़िता को मुआवजे के रूप में दिए जाएंगे।
मामला कर्नाटक के हासन जिले के होलेनरसीपुरा स्थित रेवन्ना परिवार के फार्महाउस से जुड़ा है, जहां पीड़िता घरेलू सहायिका के रूप में कार्यरत थी। महिला ने अदालत में बयान देते हुए कहा कि 2021 से उसके साथ कई बार दुष्कर्म किया गया। साथ ही वीडियो रिकॉर्ड कर उसे धमकाया गया कि यदि उसने किसी से कुछ कहा, तो वे वीडियो सार्वजनिक कर दिए जाएंगे। पीड़िता के अनुसार, उस पर मानसिक दबाव इतना अधिक था कि उसने आत्महत्या करने का विचार तक किया।
विशेष लोक अभियोजक बीएन जगदीश ने अदालत को बताया कि प्रज्वल रेवन्ना ने न केवल रेप किया, बल्कि पीड़िता को धमकी देकर चुप भी कराया। अभियोजक ने यह भी कहा कि रेवन्ना एक प्रभावशाली परिवार से होने के बावजूद कानून का दुरुपयोग करते रहे और अन्य महिलाओं को भी इसी तरह निशाना बनाया। अभियोजन पक्ष ने तर्क दिया कि ऐसे मामलों में अदालत को सख्त संदेश देना चाहिए कि सत्ता और धन किसी को भी कानून से ऊपर नहीं बना सकते।
प्रज्वल रेवन्ना को भारतीय दंड संहिता की धारा 376(2)(k) और 376(2)(n) के तहत आजीवन कारावास की सजा दी गई है। इसके अलावा 354(a), 354(b), 354(c), 506, 201 सहित अन्य धाराओं और आईटी अधिनियम की धारा 66(E) के तहत भी कठोर कारावास और जुर्माना लगाया गया है।
सजा सुनाए जाने से पूर्व प्रज्वल रेवन्ना ने अदालत में अपना पक्ष रखते हुए रोते हुए कहा कि यह मामला चुनाव के समय ही क्यों सामने आया। उन्होंने सवाल किया कि सांसद रहते उनके खिलाफ किसी ने शिकायत क्यों नहीं की, और अब अचानक ऐसे आरोप क्यों लगाए जा रहे हैं। उन्होंने खुद को राजनीतिक षड्यंत्र का शिकार बताया।
यह मामला तब सामने आया जब अप्रैल 2024 में हासन लोकसभा क्षेत्र में मतदान से कुछ दिन पहले कई महिलाओं ने प्रज्वल रेवन्ना पर गंभीर आरोप लगाए। चुनाव प्रचार के दौरान उनके यौन उत्पीड़न के वीडियो सामने आए, जिसके बाद वे जर्मनी भाग गए। लेकिन वापस लौटने पर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और मामला विशेष अदालत तक पहुंचा।
अदालत ने अपने फैसले में कहा कि आरोपी का प्रभावशाली होना उसे अपराध करने की छूट नहीं देता और ऐसे मामलों में न्यायिक सख्ती जरूरी है ताकि समाज में विश्वास बना रहे कि कानून सबके लिए बराबर है।