Thursday, November 20, 2025
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डोनाल्ड ट्रंप का H-1B वीजा पर यू-टर्न: बोले– अमेरिका को चाहिए टैलेंटेड लोग, नहीं बन सकती मिसाइलें अमेरिकी बेरोजगारों से

न्यूयॉर्क: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, जिन्होंने कभी H-1B वीजा प्रोग्राम की कड़ी आलोचना की थी, अब उसी प्रोग्राम की तारीफ करते दिख रहे हैं। ट्रंप ने कहा कि अमेरिका को “टैलेंटेड लोगों” की जरूरत है और H-1B वीजा ही देश को वह स्किल दे सकता है जिसकी उसे ज़रूरत है। यह बयान ऐसे समय आया है जब H-1B वीजा की फीस 1 लाख डॉलर तक बढ़ाई जा चुकी है, जिससे विदेशी वर्कर्स के लिए अमेरिका पहुंचना और भी मुश्किल हो गया है।

H-1B वीजा पर ट्रंप का यू-टर्न

डोनाल्ड ट्रंप, जो पहले H-1B वीजा को अमेरिकी नौकरियों के लिए खतरा बताते थे, अब इसे टैलेंट लाने का जरिया मान रहे हैं। हाल ही में फॉक्स न्यूज को दिए एक इंटरव्यू में ट्रंप ने कहा, “आपको टैलेंट को भी देश में लाना होगा। आपके पास कुछ खास टैलेंट वाले लोग नहीं हैं। आप बेरोजगारी की कतार में से किसी को निकालकर मिसाइल बनाने नहीं कह सकते।”

ट्रंप के इस बयान से साफ है कि अब वे अमेरिकी टेक, हेल्थकेयर और फाइनेंस सेक्टर की ज़रूरतों को समझने लगे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप का यह रुख उनकी नई राजनीतिक रणनीति का हिस्सा भी हो सकता है।

अमेरिकी कंपनियों के लिए जरूरी है H-1B वीजा

हर साल अमेरिका में केवल 65,000 H-1B वीजा जारी किए जाते हैं, जबकि 20,000 वीजा उन लोगों के लिए आरक्षित रहते हैं जिन्होंने अमेरिका की यूनिवर्सिटी से मास्टर्स या उससे ऊपर की डिग्री ली है। टेक, फाइनेंस और हेल्थकेयर जैसी कंपनियां अपने यहां स्पेशलाइज्ड वर्कर्स को H-1B वीजा के तहत हायर करती हैं। यहां तक कि अमेरिकी यूनिवर्सिटीज़ भी प्रोफेसर और रिसर्चर जैसे पदों के लिए इन्हीं वीज़ा पर निर्भर रहती हैं।

वीजा फीस में बढ़ोतरी से कंपनियों पर असर

सितंबर में ट्रंप प्रशासन ने H-1B वीजा की फीस बढ़ाकर 1 लाख डॉलर (करीब 88 लाख रुपये) कर दी थी। इसके चलते अब विदेशी वर्कर्स को हायर करना महंगा हो गया है। अमेरिका की प्रमुख टेक कंपनियां इस निर्णय से खासा प्रभावित हुई हैं, क्योंकि उनके लिए भारत जैसे देशों से स्किल्ड इंजीनियर्स लाना पहले की तुलना में कठिन हो गया है।

भारत सबसे बड़ा लाभार्थी देश

H-1B वीजा प्रोग्राम का सबसे अधिक लाभ भारत को मिला है। पिछले वर्ष जारी हुए वीज़ाओं में से 70% भारतीय नागरिकों को मिले, जबकि चीन के नागरिकों को लगभग 11% वीज़ा मिले। भारत के आईटी सेक्टर के लिए यह प्रोग्राम बेहद अहम माना जाता है क्योंकि इसके माध्यम से हजारों इंजीनियर अमेरिका में काम करते हैं।

बयान अमेरिका में टैलेंट की कमी का संकेत

फॉक्स न्यूज की पत्रकार लॉरा इंग्राहम के सवाल पर कि अमेरिका में पहले से ही बहुत सारे टैलेंटेड लोग हैं, ट्रंप ने कहा, “नहीं।” उनके इस जवाब ने यह स्पष्ट कर दिया कि अमेरिका अभी भी स्किल्ड वर्कर्स की कमी से जूझ रहा है। यह बयान उस धारणा को तोड़ता है जो ट्रंप ने अपने राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान H-1B वीज़ा के खिलाफ बनाई थी।

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