झुंझुनूं, 19 मई। सामाजिक समानता, शिक्षा और महिला सशक्तिकरण के प्रणेता महात्मा ज्योतिराव फूले और सावित्रीबाई फूले के जीवन पर आधारित फिल्म ‘फूले’ का एक विशेष सामूहिक प्रदर्शन झुंझुनूं शहर के एमजी मॉल स्थित डिशूम सिनेमा हॉल में आयोजित किया गया। यह आयोजन भामाशाह सुनील सैनी (गिजावर) के सहयोग से पूरे शो की बुकिंग कराकर सम्पन्न किया गया। इसमें समाज के विभिन्न वर्गों के सैकड़ों लोग शामिल हुए और एकजुटता का परिचय दिया।
कार्यक्रम की शुरुआत और संदेश
कार्यक्रम का शुभारंभ बुद्ध विहार जय पहाड़ी से आए भंते विनयपाल बौद्ध के सान्निध्य में हुआ। इस अवसर पर ज्योतिराव फूले और सावित्रीबाई फूले के चित्रों पर पुष्प अर्पण और माल्यार्पण कर नमन किया गया। उपस्थित जनसमूह ने फिल्म के माध्यम से फूले दंपती के विचारों, संघर्षों और समाज सुधार के प्रयासों को आत्मसात किया।
प्रमुख उपस्थित जन और प्रतिनिधि
इस सामूहिक प्रदर्शन में विभिन्न संगठनों और समाजों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया, जिनमें प्रमुख रूप से शामिल रहे भीम आर्मी जिलाध्यक्ष विकास आल्हा, माली सैनी समाज संस्था संरक्षक कमलचंद सैनी, पिलानी ब्लॉक अध्यक्ष देवकरण सैनी, विचारक बाघसिंह तोमर, मीडिया प्रभारी नरेश सैनी, सामाजिक कार्यकर्ता पवन आलडिया और प्रदीप चंदेल, पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष सतवीर बरवड़, पूर्व सरपंच बनवारीलाल गोठवाल (कासिमपुरा), समाजसेवी बीएल बौद्ध, डॉ. मनीराम भाटिया, दिनदयाल सैनी और रतनलाल सैनी, महिला विंग जिलाध्यक्ष बबली सैनी, वरिष्ठ अध्यापक सुशील सैनी, व्याख्याता घनश्याम सैनी (बड़ागांव), सुमेर सिंह सैनी, ओमप्रकाश सैनी, महेंद्र, योगेश, भवानी गुर्जर, तकनीकी अधिकारी मनोज (JTO), लोकेश, मंगेश, विकास (चिड़ावा), राकेश टिटनवार, कैलाश सैनी (PWD), सावित्री सैनी सहित कई अन्य सामाजिक कार्यकर्ता और बुद्धिजीवी
प्रतिनिधियों की प्रतिक्रियाएं
बबली सैनी (महिला विंग जिलाध्यक्ष)
“फूले दंपती ने 18वीं सदी में जो कार्य किए, वे आज भी अनुकरणीय हैं। उनका योगदान सामाजिक चेतना की नींव है।”
संदीप सैनी (ब्लॉक संयोजक)
“फूले दंपती द्वारा महिलाओं के अधिकार और शिक्षा के क्षेत्र में किए गए प्रयास आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं।”
चंद्रप्रकाश धूपिया (सैनी अधिकारी कर्मचारी संस्था जिलाध्यक्ष)
“महात्मा फूले की शिक्षावादी सोच और दूरदृष्टि आज भी समाज को प्रगति की दिशा में ले जा रही है।”
घड़सीराम सैनी (पूर्व जिलाध्यक्ष, सैनी समाज कल्याण संस्थान)
“फूले विचारधारा को समाज के हर कोने तक पहुंचाना हमारी जिम्मेदारी है।”
बाघसिंह तोमर (विचारक)
“यह फिल्म ग्रामीण क्षेत्रों में भी दिखाई जानी चाहिए ताकि समाज का प्रत्येक वर्ग जागरूक हो सके।”
घनश्याम सैनी (व्याख्याता)
“अब फूले मेरे लिए सिर्फ नाम नहीं, बल्कि जीवन का आदर्श बन गए हैं। मैं उनके विचारों को अपनाने का संकल्प लेता हूं।”
ओमप्रकाश सैनी और अनिता सैनी (प्राचार्य, आदर्श नगर)
“हमारा इतिहास हमसे छिपाया गया था। आज हम शिक्षा विभाग में जो कार्य कर रहे हैं, वह फूले दंपती की शिक्षा क्रांति का परिणाम है।”
बाबूलाल सैनी (एसआई, चिड़ावा)
“समानता पर आधारित समाज की स्थापना के लिए फूले और सावित्रीबाई के विचारों को अपनाना अत्यंत आवश्यक है।”
फिल्म ने छोड़ी गहरी छाप
फिल्म ‘फूले’ ने दर्शकों को न केवल एक ऐतिहासिक सामाजिक क्रांति से परिचित कराया, बल्कि उन्हें सामाजिक न्याय, शिक्षा और नारी सशक्तिकरण के प्रति नई चेतना से भी जोड़ा। फिल्म के माध्यम से यह संदेश सामने आया कि सामाजिक सुधार किसी एक कालखंड तक सीमित नहीं होते, बल्कि वे सतत प्रक्रिया होते हैं, जो आज भी उतनी ही महत्वपूर्ण हैं।
झुंझुनूं में आयोजित यह आयोजन केवल एक फिल्म प्रदर्शन नहीं रहा, बल्कि सामाजिक एकता, विचार जागरूकता और समरस समाज की ओर एक सकारात्मक पहल के रूप में उभरा। फूले दंपती के कार्यों और विचारों को समाज के हर वर्ग तक पहुंचाने के लिए ऐसे आयोजनों की आवश्यकता लगातार बनी हुई है।