Saturday, April 26, 2025
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छत्तीसगढ़-तेलंगाना-महाराष्ट्र बॉर्डर पर नक्सलियों के खिलाफ सबसे बड़ा ऑपरेशन, 5000 जवान शामिल; शांति वार्ता की मांग नक्सलियों की रणनीति?

बीजापुर, छत्तीसगढ़: छत्तीसगढ़, तेलंगाना और महाराष्ट्र की सीमाओं पर स्थित बस्तर अंचल में सुरक्षा बलों द्वारा नक्सलियों के खिलाफ अब तक का सबसे बड़ा संयुक्त ऑपरेशन चलाया जा रहा है। करीब 5000 सुरक्षाकर्मी इस ऑपरेशन में शामिल हैं, जो कर्रेगुट्टा, नडपल्ली और पुजारी कांकेर की पहाड़ियों में सक्रिय नक्सलियों को चारों ओर से घेर चुके हैं। इस ऑपरेशन का मकसद नक्सलियों के शीर्ष नेतृत्व—हिड़मा, देवा, दामोदर, विकास सहित कई अन्य बड़े कमांडरों को पकड़ना या उन्हें आत्मसमर्पण के लिए मजबूर करना है।

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ऑपरेशन में तीन राज्यों की फोर्स, हाई अलर्ट पर केंद्र

बताया जा रहा है कि छत्तीसगढ़ के गृह मंत्री विजय शर्मा स्वयं ऑपरेशन की निगरानी कर रहे हैं, और हर मूवमेंट पर IG से रिपोर्ट ले रहे हैं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी इस ऑपरेशन को लेकर विजय शर्मा और DGP के निरंतर संपर्क में हैं। केंद्र सरकार को पल-पल की जानकारी दी जा रही है। बताया जा रहा है कि यह ऑपरेशन 48 घंटे से अधिक समय से जारी है और लगातार रुक-रुक कर फायरिंग की खबरें आ रही हैं।

नक्सलियों की घेराबंदी, छिपे हैं बड़े कैडर

सूत्रों के अनुसार कर्रेगुट्टा क्षेत्र में बटालियन नंबर 1 से 5 तक की नक्सली यूनिट्स सक्रिय हैं। इस इलाके को नक्सलियों का “सेफ जोन” माना जाता था, जहां तक आसानी से राशन और अन्य संसाधन पहुंचाए जाते थे। लेकिन हालिया महीनों में यहां फोर्स के कैंप स्थापित होने से नक्सलियों की आपूर्ति ठप हो चुकी है। इसी रणनीति के तहत ऑपरेशन को अंजाम दिया जा रहा है जब नक्सली सबसे कमजोर स्थिति में हैं।

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नक्सलियों का प्रेस नोट: ‘शांति वार्ता चाहते हैं’

इस ऑपरेशन के बीच भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के उत्तर-पश्चिम सब जोनल ब्यूरो प्रभारी रूपेश की ओर से एक प्रेस नोट जारी किया गया है, जिसमें सरकार से शांति वार्ता की अपील की गई है। चिट्ठी में कहा गया है,

“बस्तर में बंदूक के दम पर शांति नहीं लाई जा सकती। हमने पहले भी शांति वार्ता के लिए माहौल बनाने की अपील की थी, लेकिन सरकार की ओर से कोई पहल नहीं हुई।”

छत्तीसगढ़-तेलंगाना-महाराष्ट्र बॉर्डर पर नक्सलियों के खिलाफ सबसे बड़ा ऑपरेशन, 5000 जवान शामिल; शांति वार्ता की मांग नक्सलियों की रणनीति?

रूपेश ने ऑपरेशन कागार पर सवाल उठाते हुए इसे “वार्ता के माहौल को नुकसान पहुंचाने वाला” बताया है और सरकार की मंशा पर भी संदेह जताया है।

‘शांति वार्ता एक बहाना, तैयारी कर रहे थे नक्सली’

हालांकि सुरक्षा एजेंसियां और विश्लेषक इसे नक्सलियों की रणनीति मान रहे हैं। बताया जा रहा है कि नक्सली वार्ता की आड़ में समय लेकर अपने मूवमेंट और अगली रणनीति तय करना चाहते थे। लेकिन अब जब वे फोर्स के घेरे में आ चुके हैं और रसद की किल्लत बढ़ गई है, तो शांति वार्ता की अपील कर रहे हैं।

छत्तीसगढ़ के गृह मंत्री विजय शर्मा ने स्पष्ट रूप से कहा है,

“ऑपरेशन किसी भी हालत में नहीं रुकेगा। नक्सलियों को हिंसा छोड़नी होगी और हथियार डालने होंगे।”

ऑपरेशन का क्षेत्र: कर्रेगुट्टा से पुजारी कांकेर तक

यह ऑपरेशन कर्रेगुट्टा, नडपल्ली, पुजारी कांकेर की पहाड़ियों में चल रहा है, जहां 1000 से अधिक नक्सलियों के छिपे होने की पुष्टि की गई है। इनमें हिड़मा, देवा, विकास जैसे बड़े नाम शामिल हैं, जो DKSZCM (दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी), DVCM (डिविजनल कमेटी मेंबर), ACM (एरिया कमेटी मेंबर) और संगठन सचिव जैसे प्रमुख पदों पर हैं। यही नहीं, तेलंगाना, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश की सेंट्रल कमेटी के कई कैडर्स भी यहां सक्रिय हैं।

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