राजस्थान के कोटा में स्टूडेंट सुसाइड का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। मंगलवार देर रात एक और छात्र ने आत्महत्या कर ली। 19 वर्षीय छात्र मोहम्मद जैदी यूपी के मुरादाबाद का रहने वाला था। कोटा के एक कोचिंग से मेडिकल प्रवेश परीक्षा NEET की तैयारी कर रहा था। मामले की जानकारी के बाद जवाहर नगर थाने की पुलिस टीम मौके पर पहुंची है। इस साल यानी 2024 में स्टूडेंट सुसाइड का पहला मामला है।
पुलिस के मुताबिक, उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद का मूल निवासी छात्र पिछले दो साल से कोटा में पढ़ाई कर रहा था। कोटा-1 के डीएसपी भवानी सिंह ने बताया,”वह जवाहर नगर इलाके के एक हॉस्टल में रह रहा था और इस साल NEET के दूसरे प्रयास की तैयारी कर रहा था।”
हॉस्टल के लड़कों ने बताया,” उसका कमरा मंगलवार सुबह से ही अंदर से बंद था। जब उसने शाम तक दरवाजा नहीं खोला, तो उसके एक दोस्त ने दरवाजा खटखटाना शुरू कर दिया, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।” जिसके बाद उन्होंने अपने हॉस्टल मालिकों के साथ-साथ पुलिस को भी सूचित किया। मौके पर पहुंची पुलिस ने दरवाजा तोड़कर शव बरामद किया।
घटनास्थल से कोई सुसाइड नोट बरामद नहीं हुआ और किशोर के माता-पिता को सूचित कर दिया गया। सिंह ने कहा, “शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है। हॉस्टल ने अभी तक दिशानिर्देशों के अनुसार, पंखों में स्प्रिंग-लोडेड डिवाइस क्यों नहीं लगाया है।”
पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, कोटा में 2022 में 15, 2019 में 18, 2018 में 20, 2017 में सात, 2016 में 17 और 2015 में 18 छात्रों की मौत हुई। कोरोना लॉकडाउन के दौरान कोचिंग संस्थान बंद होने के कारण 2020 और 2021 में कोई आत्महत्या की घटना सामने नहीं आई।
पिछले साल 28 छात्रों ने किया था सुसाइड
कोटा में लाखों की संख्या में स्टूडेंट्स इंजीनियरिंग और मेडिकल की तैयारी के लिए आते हैं। लेकिन कहीं न कहीं पढ़ाई का प्रेशर या अन्य कारणों से स्टूडेंट मानसिक तनाव में आकर सुसाइड कर लेते हैं। साल 2023 में करीब 28 छात्रों ने अलग-अलग कारणों से कोटा में सुसाइड किया था। इनमें से अधिकतर सुसाइड का कारण पढ़ाई को लेकर मानसिक तनाव सामने आया था। कोचिंग छात्र मोहम्मद जैद के सुसाइड के पीछे भी यही वजह बताई जा रही है।
भारत की कोचिंग राजधानी माने जाने वाले कोटा में कोचिंग का सालाना व्यवसाय लगभग 10,000 करोड़ का है। देश भर से छात्र दसवीं कक्षा पूरी करने के बाद बड़ी संख्या में कोटा पहुंचते हैं और मेडिकल और डेंटल कॉलेजों में प्रवेश के लिए NEET और JEE की तैयारी के लिए यहां रहते हैं। कुछ छात्रों को यह काम तनावपूर्ण लगता है, खासकर इसलिए क्योंकि वे अपने परिवार से दूर हैं।
इन उपायों के बावजूद बढ़ रहे स्टूडेंट सुसाइड के मामले
ऐसे मामलों में तेजी से वृद्धि को ध्यान में रखते हुए, राजस्थान सरकार ने 28 सितंबर को मौतों को रोकने के लिए कई उपायों की घोषणा की थी जैसे अनिवार्य स्क्रीनिंग टेस्ट, रैंकिंग-आधारित के बजाय अल्फाबेटिकल आर्डर में सेक्शन का अलॉटमेंट। सरकार ने किसी भी नियम का उल्लंघन करने पर कोचिंग संस्थानों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी थी। हालांकि दिशानिर्देशों में कानूनी कार्रवाइयों का कोई विवरण नहीं दिया गया है, लेकिन इसमें कहा गया है, “ऐसा उल्लंघन जो छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है, उसे एक आपराधिक कृत्य माना जाएगा और जिला प्रशासन इसके खिलाफ आवश्यक कानूनी कार्रवाई करेगा।”
वहीं हाल ही में, केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने इस साल 16 जनवरी को एक और दिशानिर्देश भी प्रकाशित किया था, जिसमें देश भर के कोचिंग सेंटरों में छात्र की प्रवेश आयु को 16 वर्ष तक सीमित कर दिया गया था और दिशानिर्देशों के उल्लंघन के मामले में कोचिंग अधिकारियों पर 100,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया जाने का आदेश है।
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