Friday, November 22, 2024
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अमेरिका मून मिशन: अमेरिका का ओडीसियस लैंडर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरा, नासा ने कमजोर सिग्नल भेजने की बात कही

अमेरिका मून मिशन: कामर्सियल अमेरिकी स्पेसक्रॉफ्ट ओडीसियस लूनर लैंडर सिग्नल भेजते हुए चंद्रमा के साउथ पोल पर सफलता पूर्वक उतर गया है, लेकिन कमजोर सिग्नल भेजने की जानकारी मिली है. इस मिशन में लगी निजी कंपनी इंट्यूटिव मशीन्स ने कहा कि एक कमर्सियल स्पेस यान चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास उतरा, लेकिन कंट्रोलर को षट्भुज आकार के लैंडर ओडीसियस के संकेत मिल रहे थे.

इंटुएटिव मशीन्स द्वारा ओडीसियल लैंडर की फोटो भी साझा की गई है. इंटुएटिव मशीन्स के मिशन निदेशक टिम क्रेन ने कहा, “हम ओडीसियस लैंडर से मिल रहे सिग्नल्स को समझने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन हम बिना किसी संदेह के पुष्टि कर सकते हैं कि हमारा लैंडर चंद्रमा की सतह पर है.” उन्होंने आईएम टीम को बधाई देते हुए कहा, हम लैंडर से मजबूत सिग्नल पाने की कोशिश में लगे हैं.

अमेरिका के चंद्र अभियान पर नासा ने क्या कहा?

यह अंतरिक्ष यान नासा द्वारा वित्त पोषित और मानव रहित कामार्सियल रोबोटों का हिस्सा है. इस स्पेसक्राफ्ट से भविष्य में चंद्रमा पर मनुष्यों को ले जाने के आर्टेमिस कार्यक्रम 2026 में मदद मिलेगी. अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ने एक्स पर एक पोस्ट साझा करते हुए लिखा- आपका ओडीसियल लैंडर चंद्रमा पर पहुंचा दिया गया है. नासा ने कहा कि ओडीसियस शाम 6:23 बजे ईटी (भारतीय समयानुसार सुबह 4:53 बजे) चंद्रमा पर उतरा.

चंद्रमा के साउथ पोल पर भारत ने उतारा था विक्रम लैंडर

इसके पहले भारत चंद्रमा के ठंडे और खतरनाक दक्षिणी ध्रुव पर अपना अंतरिक्ष यान सफलतापूर्वक उतारने वाला पहला देश बन गया है. चंद्रयान-3 का लैंडर विक्रम अगस्त 2023 में चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित पहुंचा था. अब अमेरिका का स्पेसक्राफ्ट ओडीसियस लैंडर चंद्रमा के साउथ पोल पर उतरा है. अमेरिका ने अपोलो मिशन के बाद करीब 50 साल बाद चंद्र अभियान शुरू किया है. इसके पहले अमेरिका ने चंद्रमा पर पहुंचने के लिए साल 1972 में अपोलो अभियान चलाया था.

साउथ पोल पर पहुंचने वाला दूसरा देश बना अमेरिका

नासा के मुताबिक अमेरिका का ओडिसियस लैंडर चंद्रमा के साउथपोल पर मालापार्ट ए नाम के क्रेटर पर उतरा है. ऐसे में माना जा रहा है कि भारत के बाद अमेरिका अब चंद्रमा के साउथ पोल पर पहुंचने वाला दूसरा देश बन गया है. अमेरिका का यह चंद्र अभियान मात्र 16 दिनों का है, क्योंकि चंद्रमा के साउथ पोल पर जल्द ही अंधेरा छाने वाला है. यह लैंडर चंद्रमा पर मात्र 7 दिन तक ही सक्रिय रह पाएगा.

स्त्रोत – ABP Live न्यूज़

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