पिलानी, 1 फरवरी: अभिभाषक संघ द्वारा लम्बे समय से की जा रही एडीजे कोर्ट शुरू किए जाने की मांग पर आज राजस्थान हाइकोर्ट जस्टिस अनिल उपमन पिलानी आए। यहां उन्होंने पिलानी एसीजेएम कोर्ट का निरीक्षण किया तथा बार एसोसिएशन के कार्यक्रम में हिस्सा लिया। इस दौरान उनकी धर्मपत्नी भी साथ थीं। जस्टिस अनिल उपमन झुंझुनूं जिले के इंस्पेक्टिंग जज भी हैं।
पिलानी कोर्ट पहुंचने पर जस्टिस अनिल उपमन का बार एसोसिएशन अध्यक्ष रणवीर सिंह खुडानिया के नेतृत्व में बार के सदस्य अधिवक्ताओं की ओर से स्वागत किया गया। झुंझुनू डीजे दीपा गुर्जर, चिड़ावा एडीजे योगेश जोशी, पिलानी एसीजेएम बबिता सैनी और सीआई रणजीत सिंह सेवदा ने जस्टिस उपमन की अगुवाई की। पुलिस जवानों ने गार्ड ऑफ ऑनर दिया। बाद में जस्टिस उपमन ने कोर्ट का निरीक्षण किया तथा लम्बित मुकदमों सहित अन्य जानकारी ली।
कार्यक्रम में बोलते हुए जस्टिस अनिल उपमन ने कहा कि अधिवक्ता समुदाय और न्यायालय का एक ही उद्देश्य होता है कि मुव्वकिल को सुलभ और त्वरित न्याय उपलब्ध करवाया जाए। इस कड़ी में न्यायालय की स्थापना एक महत्वपूर्ण कदम होता है। लेकिन हाई कोर्ट प्रशासन व राज्य सरकार ने एडीजे न्यायालय की स्थापना के लिए कुछ मापदंड निर्धारित किए हैं। पिलानी कोर्ट के एडीजे कोर्ट में पेंडिंग मामले, अपीलें और अन्य डाटा जिस दिन ये मापदंडों को पूरा करेंगे मैं आपको आश्वस्त करता हूं कि उसी दिन आपके यहां एडीजे न्यायालय की स्थापना का मार्ग प्रशस्त हो जाएगा।
अधिवक्ताओं के संघर्ष पर भी रखी अपनी बात
अधिवक्ताओं के संघर्ष और सफलता पर अपनी बात रखते हुए कहा कि एक अधिवक्ता शून्य से अपने करियर को प्रारम्भ करता है। मैं खुद भी 2 वर्ष पूर्व तक आप ही के बीच में बैठता था, इसलिए संघर्ष और संघर्ष के बाद की सफलता से भी वाकिफ हूं। उन्होंने कहा कि करियर में भाग्य के रोल को नकारा नहीं जा सकता लेकिन समर्पित भाव से कड़ी मेहनत की जाए तो भाग्य को भी बदला जा सकता है।
अधिवक्ताओं से कार्य बहिष्कार न करने की अपील की
जस्टिस उपमन ने अधिवक्ताओं से अपील की कि जब तक बहुत जरूरी ना हो जाए आप कार्य बहिष्कार न करें। उन्होंने कहा कि कोई भी न्यायालय बिना अधिवक्ताओं के सहयोग के अपना कार्य सम्पादित नहीं कर सकता। एक लीटीगेंट अपनी पीड़ा को बहुत ही संक्षेप में न्यायालय के समक्ष रखता है और अधिवक्ता समुदाय मुवक्किल को किस तरह से राहत दिलाई जा सकती है, उससे सम्बन्धित कानून की जानकारी न्यायालय को उपलब्ध करवाते हैं। कार्य बहिष्कार की वजह से यह प्रक्रिया बाधित होती है और पीड़ित को त्वरित न्याय उपलब्ध नहीं हो पाता।
ये रहे मौजूद

कार्यक्रम में भंवर सिंह परमार, पवन शर्मा, गोवर्धन सिंह, सुरेन्द्र पूनिया, शीशराम बोला, मोनिका, मंजू, पूजा शर्मा, बबिता, संजू, गौरव पूनिया, नवीन कुमार, राजकुमार, सुधीर, विनोद मोरवाल, विमल चांवरिया, सोनू तामड़ायत, रविन्द्र चौधरी, कमल शर्मा, सत्य प्रकाश, नीतिराज, विजय सिंह, राजेन्द्र चौधरी, गजानन्द, विजेन्द्र कस्वां, पराग परमार, जयन्त, मोनू शर्मा, सन्दीप, अभिषेक, अरविन्द सहित अन्य अधिवक्ता उपस्थित रहे।