अजमेर, राजस्थान: अजमेर के ऐतिहासिक स्थल ढाई दिन के झोपड़े को लेकर वायरल ऑडियो से एक बार फिर विवाद गरमा गया है। जैन संत आचार्य सुनील सागर महाराज ने दावा किया है कि यह स्थान पहले जैन मंदिर रहा होगा। वहीं, इस दावे का विरोध करते हुए अंजुमन सचिव सैयद सरवर चिश्ती ने कहा है कि यह मस्जिद है और यहां “बिना कपड़े” के लोगों का प्रवेश गलत है।
विवाद की शुरुआत:
जैन संतों के ढाई दिन के झोपड़े में जाने के बाद एक ऑडियो सामने आया है, जो अंजुमन सचिव सैयद सरवर चिश्ती का बताया जा रहा है। इसमें दावा है- सरवर चिश्ती कहते सुनाई दे रहे हैं कि कैसे ढाई दिन का झोपड़ा में बिना कपड़े के लोग अंदर चले गए, अंदर मस्जिद भी है।
इस बयान के बाद विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने और अन्य भाजपा नेताओं ने सचिव के इस ऑडियो बयान की कड़ी निंदा की है। देवनानी ने सरवर चिश्ती से माफी मांगने को कहा है। उन्होंने ढाई दिन के झोपड़े का एएसआई से सर्वे कराने के लिए भी पत्र लिखे जाने की बात की है।
विवाद में शामिल पक्ष:
- जैन पक्ष: जैन संतों का दावा है कि ढाई दिन का झोपड़ा पहले जैन मंदिर था। वे चाहते हैं कि यहां पुरातत्व सर्वेक्षण करवाया जाए और अवैध कब्जा हटाया जाए।
- मुस्लिम पक्ष: अंजुमन सचिव सैयद सरवर चिश्ती का कहना है कि यह मस्जिद है और यहां “बिना कपड़े” के लोगों का प्रवेश गलत है। उन्होंने जैन संतों के दावे को खारिज कर दिया है।
- आरएसएस: आरएसएस का समर्थन जैन संतों के दावे को है। उनका मानना है कि यहां पुरातत्व सर्वेक्षण करवाया जाना चाहिए।
- अन्य: विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी और उपमहापौर नीरज जैन ने भी जैन संतों के दावे का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि इस मामले की जांच करवाई जानी चाहिए।
विवाद का इतिहास:
- ढाई दिन का झोपड़ा अजमेर का एक ऐतिहासिक स्थल है जिसके पीछे विवादित इतिहास रहा है।
- कुछ इतिहासकारों का मानना है कि यह पहले एक विशाल संस्कृत महाविद्यालय हुआ करता था।
- 12वीं शताब्दी में, अफगान शासक मोहम्मद गोरी ने इस परिसर पर कब्जा कर लिया और इसे मस्जिद में बदल दिया।
- तब से, यह स्थल हिंदू, मुस्लिम और जैन समुदायों के बीच विवाद का विषय रहा है।
आगे क्या होगा?
- विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने पुरातत्व सर्वेक्षण करवाने के लिए पत्र लिखा है।
- यह देखना बाकी है कि सर्वेक्षण में क्या सामने आता है और विवाद का क्या समाधान होता है।