Saturday, May 10, 2025
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आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई में भारत का कड़ा संदेश: UN के सिद्धांतों के अनुसार काम

नई दिल्ली: पिछले दिनों जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए “अत्यधिक बर्बर” आतंकी हमले के जवाब में भारत ने अपने सैन्य अभियान “ऑपरेशन सिंदूर” के माध्यम से न केवल आतंकियों को सख्त संदेश दिया, बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भी यह स्पष्ट कर दिया कि भारत आतंकवाद के खिलाफ किसी भी स्तर तक जाने को तैयार है। भारत सरकार ने इस कार्रवाई को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के मापदंडों के अनुरूप बताया और इसे “न्यायसंगत, संतुलित और जिम्मेदार” करार दिया।

भारत की कार्रवाई: 9 आतंकी ठिकानों पर मिसाइल और ड्रोन हमले

मंगलवार देर रात भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में स्थित लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के नौ ठिकानों को निशाना बनाकर मिसाइल और ड्रोन हमले किए। 25 मिनट तक चले इस ऑपरेशन को बेहद सटीक और सीमित रखा गया ताकि तनाव न बढ़े लेकिन आतंकवाद को कठोर संदेश मिले।

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“UNSC के अनुरूप कार्रवाई”, विदेश सचिव विक्रम मित्री का बयान

विदेश सचिव विक्रम मित्री ने प्रेस को बताया कि यह कार्रवाई पूरी तरह से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के 25 अप्रैल के बयान के अनुरूप थी, जिसमें इस “अत्यधिक बर्बर” हमले के अपराधियों को न्याय के दायरे में लाने की बात कही गई थी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भारत ने TRF (द रेजिस्टेंस फ्रंट) की भूमिका और उसके लश्कर-ए-तैयबा से संबंधों के स्पष्ट प्रमाण दुनिया के सामने रखे हैं।

आतंकियों को संरक्षण देने वाले ढांचे को खत्म करना था उद्देश्य

मित्री ने कहा,

“भारत ने यह कार्रवाई न केवल प्रतिशोध में की, बल्कि सीमापार से संचालित आतंकी ढांचे को ध्वस्त करने और भविष्य में ऐसी साजिशों को रोकने के लिए की।”

भारत की खुफिया एजेंसियों के पास स्पष्ट प्रमाण हैं कि TRF, वास्तव में लश्कर-ए-तैयबा का ही मुखौटा संगठन है और इसका संचालन पाकिस्तान से होता है।

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने प्रमुख देशों को दी कार्रवाई की जानकारी

ऑपरेशन सिंदूर के पीछे के कारण साझा किए गए

भारत ने बुधवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सदस्यों समेत जर्मनी, जापान, फ्रांस और स्पेन के विदेश मंत्रियों को भी कार्रवाई के पीछे के कारणों से अवगत कराया। विदेश मंत्री एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने अमेरिका, रूस, चीन, ब्रिटेन और सऊदी अरब के समकक्षों से बातचीत कर भारत की स्थिति स्पष्ट की।

डोभाल ने कहा –
“भारत का उद्देश्य टकराव बढ़ाना नहीं है, लेकिन अगर पाकिस्तान तनाव बढ़ाता है तो भारत दृढ़ प्रतिक्रिया देने को तैयार है।”

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पाकिस्तान की चुप्पी, चीन की भूमिका और UNSC में दबाव

विदेश सचिव मित्री ने यह भी खुलासा किया कि पाकिस्तान और चीन ने मिलकर UNSC के 25 अप्रैल के बयान से TRF का नाम हटवाने के लिए दबाव बनाया। यह तथ्य दर्शाता है कि पाकिस्तान न केवल आतंकियों को पनाह देता है, बल्कि वैश्विक मंच पर भी उनके बचाव की कोशिश करता है।

FATF और पाकिस्तान की दोहरी चाल

भारत ने पाकिस्तान की उस नीति को भी उजागर किया जिसमें उसने FATF को धोखा देने की कोशिश की। उदाहरण स्वरूप, पाकिस्तान ने मुंबई हमलों के आरोपी साजिद मीर को मृत घोषित किया, लेकिन अंतरराष्ट्रीय दबाव में बाद में उसे ज़िंदा पाया गया और गिरफ्तारी दिखाई गई।

“पाकिस्तान आज भी आतंकियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह बना हुआ है,” मित्री ने कहा।
“वहां अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिबंधित आतंकी खुलेआम घूमते हैं और सरकार उन्हें संरक्षण देती है।”

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