मंड्रेला (झुंझुनूं): मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सी.आर. पाटिल की बहुप्रतीक्षित सभा के बाद कस्बे के लोगों में भारी आक्रोश और निराशा है। जनता का आरोप है कि उन्हें AEN कार्यालय, रोडवेज डिपो, उप जिला अस्पताल और सीवरेज सिस्टम जैसे विकास कार्यों की घोषणा का सपना दिखाकर बुलाया गया था, लेकिन मंच से इनमें से किसी भी मांग का जिक्र तक नहीं किया गया। लोगों ने इसे अपने विश्वास के साथ मजाक बताया है।
“पूरा गांव एक साथ बेवकूफ बन गया”- युवाओं और समाजसेवियों ने जताई नाराजगी
सभा के बाद लोगों ने खुलकर अपनी भड़ास निकाली। युवा नेता फारुख ने गुस्से में कहा, “हम सभी को झूठे सपने दिखाए गए। कहा गया था कि सर्व समाज एकजुट होकर आए तो मंड्रेला का स्वर्णिम इतिहास लिखा जाएगा, लेकिन आज सच में इतिहास बन गया, जब पूरा गांव एक साथ बेवकूफ बन गया।” वहीं, सामाजिक कार्यकर्ता एवं पूर्व पंचायत समिति सदस्य विनोद सिंह निर्वाण ने कहा कि काम होना न होना बाद की बात है, लेकिन जब किसी विकास कार्य की बात ही न हो, तो यह जनता के साथ मजाक है। सामाजिक कार्यकर्ता अयूब सोलंकी ने 125 से अधिक घरों के ऊपर से गुजर रही “मौत की लाइनों” (हाई-टेंशन तार) का मुद्दा उठाते हुए कहा कि लोग समस्या के समाधान की उम्मीद में आए थे, पर यहां चर्चा तक नहीं हुई। समाजसेवी जेपी भांबू ने भी तंज कसते हुए कहा कि नेताओं ने शब्दों के फूल बरसाए, पर हकीकत में मंड्रेला को फिर सूखा ही मिला।
सभा के बाद समर्थक ने बहाए आंसू
कार्यक्रम के बाद उस समय माहौल बेहद भावुक हो गया जब एक स्थानीय बनारसी लाल गौड रो पड़े। उन्होंने आंसुओं के बीच कहा, “पिछले पाँच दिनों से दिन-रात मेहनत की ताकि कार्यक्रम सफल हो। मैंने मोहल्ले की महिलाओं से कहा था कि आपके घरों के ऊपर से गुजर रही जानलेवा बिजली की लाइनें हट जाएंगी, इसलिए आप भी कार्यक्रम में जरूर आइए।” उनकी अपील पर कई महिलाएं सभा में पहुंचीं, लेकिन कोई घोषणा न होने पर सब स्तब्ध रह गए। बनारसी लाल ने दर्द बयां करते हुए कहा, “कार्यक्रम पर करोड़ों रुपये खर्च हुए होंगे, अगर यही पैसे लाइन हटाने में लगते तो हजारों जिंदगियों के ऊपर से मौत का साया हट जाता।”
विकास की उम्मीद में बंद रखीं 1000 दुकानें – व्यापारी
स्थानीय कार्यकर्ता मोहित पुजारी ने बताया कि कस्बे के एक हजार से ज्यादा व्यापारियों ने विकास की उम्मीद में अपनी दुकानें बंद रखी थीं, ताकि कस्बे को विकास के पंख लग सकें। लेकिन कार्यक्रम खत्म होते ही उनकी सारी उम्मीदें टूट गईं और वे निराश होकर घर लौट गए।
संगठन में भी सब ठीक नहीं? मंडल अध्यक्ष को ही नहीं मिली मंच पर जगह
कार्यक्रम में एक और चौंकाने वाली बात सामने आई, जिसने भाजपा की अंदरूनी कलह को उजागर कर दिया। भारतीय जनता पार्टी मंड्रेला मंडल अध्यक्ष ओमप्रकाश सोनी को सीएम के मंच पर स्थान तक नहीं दिया गया। जहां पार्टी संगठन को सर्वोपरि मानती है, वहीं अपने ही मंडल अध्यक्ष की इस उपेक्षा से कार्यकर्ताओं में गहरा असंतोष है। इस मामले पर ओमप्रकाश सोनी से संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन उनसे बात नहीं हो सकी।





