बाली: पूर्वी इंडोनेशिया के एक सक्रिय ज्वालामुखी माउंट लेवोटोबी लाकी लाकी में मंगलवार शाम को हुए शक्तिशाली विस्फोट के कारण बुधवार को बाली अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर विमानों की आवाजाही प्रभावित हुई। इस विस्फोट के कारण राख का विशाल गुबार 10,000 मीटर (लगभग 32,800 फीट) से अधिक ऊंचाई तक फैल गया, जिसे 150 किलोमीटर दूर से भी देखा जा सकता था। इस घटनाक्रम का असर न केवल स्थानीय बल्कि अंतरराष्ट्रीय विमान सेवाओं पर भी पड़ा।
बाली के नगुराह राय अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर विमानों का परिचालन रोक दिया गया। एयर इंडिया, वर्जिन ऑस्ट्रेलिया, जेटस्टार, एअर न्यूजीलैंड, टाइगरएयर सिंगापुर और जुनेयाओ एयरलाइंस जैसी कई प्रमुख कंपनियों ने अपनी उड़ानें रद्द कर दीं या उनके मार्ग परिवर्तित कर दिए। दिल्ली से बाली जा रही एयर इंडिया की एक उड़ान को भी वापस लौटने का निर्देश दिया गया। यह विमान सुरक्षित रूप से दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरा। एयर इंडिया के अनुसार, सभी यात्रियों को सुरक्षित उतार लिया गया और यात्रियों को हुई असुविधा के लिए खेद प्रकट किया गया। एयरलाइन ने यात्रियों को होटल में ठहरने, टिकट रद्द करने, यात्रा में बदलाव या धनवापसी का विकल्प देने की पेशकश की है।
यह संकट उस समय और गहरा गया जब एयर इंडिया ने मंगलवार को ही तकनीकी कारणों, विमान की अनुपलब्धता और सुरक्षा जांच के चलते सात अंतरराष्ट्रीय उड़ानें रद्द कर दी थीं। इन सात उड़ानों की वापसी भी नहीं हो पाई, जिससे कुल 13 उड़ानें प्रभावित हुईं। ये सभी उड़ानें बोइंग 787 ड्रीमलाइनर विमानों द्वारा संचालित की जानी थीं।
नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, 12 से 17 जून के बीच एयर इंडिया को कुल 248 ड्रीमलाइनर उड़ानों में से 66 उड़ानें रद्द करनी पड़ीं। इसी अवधि में एयर इंडिया ने 462 बड़े विमानों का संचालन किया, जिनमें से 83 उड़ानें रद्द हुईं। मंगलवार को जिन उड़ानों को रद्द किया गया, उनमें अहमदाबाद से लंदन, लंदन से अमृतसर, दिल्ली से दुबई, बंगलूरू से लंदन, दिल्ली से वियना और दिल्ली से पेरिस की उड़ानें शामिल थीं। इसके अलावा, सैन फ्रांसिस्को से मुंबई आ रहा एक विमान तकनीकी खामी के चलते कोलकाता में उतारना पड़ा और उसकी आगे की यात्रा रद्द कर दी गई।
गैटविक से अमृतसर की उड़ान एआई-170 को भी मंगलवार को रद्द करना पड़ा। इन सभी घटनाओं के चलते हजारों यात्रियों को असुविधा का सामना करना पड़ा, कई यात्रियों को हवाई अड्डों पर लंबा इंतजार करना पड़ा और उनके यात्रा कार्यक्रम बुरी तरह प्रभावित हुए।
फिलहाल एयरलाइंस यात्रियों की सहायता के लिए वैकल्पिक इंतजाम कर रही हैं और प्रशासन राख के गुबार के कमजोर होने का इंतजार कर रहा है ताकि हवाई यातायात को फिर से सुचारु किया जा सके। ज्वालामुखीय गतिविधियों के कारण इंडोनेशिया सहित कई दक्षिण एशियाई देशों में हवाई सुरक्षा अलर्ट जारी कर दिया गया है।