Monday, June 23, 2025
Homeदेशमुंबई ACB कोर्ट का बड़ा फैसला: पूर्व SEBI अध्यक्ष माधबी पुरी बुच...

मुंबई ACB कोर्ट का बड़ा फैसला: पूर्व SEBI अध्यक्ष माधबी पुरी बुच सहित BSE और SEBI अधिकारियों के खिलाफ FIR दर्ज करने का आदेश

मुंबई: देश की आर्थिक राजधानी मुंबई की विशेष ACB (एंटी करप्शन ब्यूरो) कोर्ट ने शनिवार को एक अहम फैसला सुनाते हुए, कथित शेयर बाजार धोखाधड़ी और नियामक उल्लंघन (Stock Market Fraud and Regulatory Violations) से जुड़े मामले में पूर्व सेबी अध्यक्ष माधबी पुरी बुच, बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) और सेबी (SEBI) के शीर्ष अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी (FIR) दर्ज करने का आदेश दिया है। इसके साथ ही अदालत ने मामले से संबंधित स्टेटस रिपोर्ट 30 दिनों के भीतर पेश करने का भी निर्देश दिया है।

Advertisement's
Advertisement’s

ACB कोर्ट की सख्त टिप्पणी

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि यदि कोई शिकायत संज्ञेय अपराध (Cognizable Offense) का खुलासा करती है, तो FIR दर्ज करना अनिवार्य है। अदालत ने इस संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले ‘हरियाणा राज्य बनाम भजन लाल (1992) सप (1) एससीसी 335’ का हवाला दिया, जिसमें यह स्पष्ट किया गया था कि ऐसे मामलों में FIR दर्ज करना वैधानिक कर्तव्य (Statutory Duty) है और ऐसा न करने पर कानूनी उल्लंघन माना जाएगा। कोर्ट ने यह भी कहा कि आरोपों की गंभीरता, लागू कानूनों और स्थापित कानूनी मिसालों को ध्यान में रखते हुए यह आदेश उचित है।

शेयर बाजार धोखाधड़ी में बड़ी कार्रवाई

ACB कोर्ट द्वारा यह आदेश ऐसे समय में आया है जब शेयर बाजार से जुड़े कई मामलों में नियामक संस्थाओं की भूमिका पर सवाल उठाए जा रहे हैं। आरोप है कि SEBI के कुछ शीर्ष अधिकारियों ने नियामक प्रक्रियाओं का उल्लंघन किया और बाजार में पारदर्शिता बनाए रखने में असफल रहे।

पूर्व सेबी अध्यक्ष माधबी पुरी बुच का तीन साल का कार्यकाल हाल ही में समाप्त हुआ है। केंद्र सरकार ने उनके उत्तराधिकारी के रूप में पांडेय को नया सेबी चेयरमैन नियुक्त किया है। माधबी पुरी बुच ने 28 फरवरी को सेबी प्रमुख के रूप में अपना कार्यकाल समाप्त किया।

Advertisement's

सेबी कार्यालय की परंपरा के अनुसार, किसी भी चेयरमैन के कार्यकाल के समापन पर उन्हें एक फेयरवेल दिया जाता है। हालांकि, माधबी पुरी बुच को बिना फेयरवेल के ही विदाई दी गई, जिससे यह मामला और अधिक चर्चाओं में आ गया है।

30 दिनों के भीतर स्टेटस रिपोर्ट का आदेश

ACB कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया है कि इस मामले से जुड़ी स्टेटस रिपोर्ट 30 दिनों के भीतर प्रस्तुत की जाए। इससे यह संकेत मिलता है कि न्यायालय इस मामले में त्वरित कार्रवाई चाहता है और नियामक संस्थाओं की जवाबदेही तय करने के लिए गंभीर है।

- Advertisement -
समाचार झुन्झुनू 24 के व्हाट्सअप चैनल से जुड़ने के लिए नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करें
- Advertisemen's -

Advertisement's

spot_img
Slide
Slide
previous arrow
next arrow
Shadow
RELATED ARTICLES
- Advertisment -

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -

Most Popular

- Advertisment -

Recent Comments

error: Content is protected !!