Saturday, February 22, 2025
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सूरजगढ़ में आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के लिए बाल विवाह रोकथाम कार्यशाला आयोजित

सूरजगढ़, 21 फरवरी 2025: “ज्ञान का दीपक जलाना है, बाल विवाह को जड़ से मिटाना है” के संकल्प के साथ जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रन, एक्सेस टू जस्टिस फॉर चिल्ड्रन और राजस्थान महिला कल्याण मंडल शाखा झुंझुनूं के संयुक्त तत्वावधान में सूरजगढ़ पंचायत समिति की आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के लिए छह दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का उद्देश्य बाल विवाह जैसी सामाजिक कुप्रथा के प्रति जागरूकता बढ़ाना और इसे रोकने के लिए प्रभावी उपायों पर विचार-विमर्श करना था।

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कार्यशाला का उद्घाटन और मुख्य बिंदु

कार्यशाला का आयोजन सूरजगढ़ के श्री श्याम गेस्ट हाउस में किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। कार्यक्रम का संचालन राजस्थान महिला कल्याण मंडल शाखा झुंझुनूं की प्रभारी चेतना शर्मा ने किया। उन्होंने बाल विवाह के सामाजिक, मानसिक और कानूनी दुष्प्रभावों पर प्रकाश डालते हुए आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को इसे रोकने के लिए सक्रिय भूमिका निभाने का आग्रह किया।

चेतना शर्मा ने बताया कि बाल विवाह केवल बच्चों के अधिकारों का हनन ही नहीं करता, बल्कि उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर भी गंभीर असर डालता है। उन्होंने कार्यकर्ताओं से अपील की कि वे अपने क्षेत्र में ऐसे बच्चों की पहचान करें जो शिक्षा से वंचित हैं या बाल मजदूरी में लगे हुए हैं, और उनकी जानकारी संबंधित संस्थाओं तक पहुंचाएं ताकि उन्हें आवश्यक सहायता मिल सके।

विशेषज्ञों का मार्गदर्शन और जागरूकता अभियान

इस कार्यशाला में बाल विवाह निषेध अधिनियम और इससे संबंधित कानूनी पहलुओं पर भी चर्चा की गई। इस दौरान आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को शपथ दिलाई गई कि वे अपने कार्यक्षेत्र में बाल विवाह रोकथाम के लिए हरसंभव प्रयास करेंगी।

सीडीपीओ सीमा वर्मा ने बताया कि राजस्थान सरकार द्वारा बाल विवाह रोकथाम के लिए सख्त नियम बनाए गए हैं, जिनका पालन सुनिश्चित करने में आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की अहम भूमिका हो सकती है। उन्होंने कहा कि बाल विवाह को रोकने के लिए सबसे जरूरी है कि समाज में शिक्षा का स्तर बढ़े और अभिभावकों को इसके दुष्परिणामों के प्रति जागरूक किया जाए।

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जिला परियोजना अधिकारी रजत ने कहा कि बाल विवाह न केवल बच्चों के विकास में बाधा डालता है, बल्कि यह लैंगिक असमानता को भी बढ़ावा देता है। उन्होंने कार्यकर्ताओं से आग्रह किया कि वे इस विषय पर पंचायत स्तर पर जागरूकता अभियान चलाएं और ग्रामीण क्षेत्रों में माता-पिता को समझाएं कि उनके बच्चों की शिक्षा और स्वास्थ्य बाल विवाह से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हैं।

कार्यशाला में सामूहिक प्रतिबद्धता

महिला पर्यवेक्षक मीना, उषा, मुनी और सहायक डीसी लीलाधर सैनी ने कार्यशाला में उपस्थित आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को बाल विवाह के खिलाफ सामूहिक प्रयास करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने बताया कि बाल विवाह रोकने के लिए सरकारी योजनाओं और हेल्पलाइन नंबरों की जानकारी आमजन तक पहुंचाना भी बेहद जरूरी है, ताकि बाल विवाह से जुड़े मामलों की तुरंत रिपोर्टिंग हो सके।

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