पिलानी, 31 जनवरी। पिलानी के वार्ड नंबर 35 में बने मंदिर और दीवार को तोड़ने की नगरपालिका की कार्रवाई के खिलाफ स्थानीय लोगों में आक्रोश फैल गया है। नगरपालिका प्रशासन के इस कदम के विरोध में बड़ी संख्या में लोग प्रदर्शन करते हुए नगरपालिका कार्यालय के बाहर पहुंचे और जोरदार नारेबाजी की।
यह मामला तब सामने आया जब कल नगरपालिका के अतिक्रमण हटाओ दस्ते ने सरकारी स्कूल के पास रास्ते पर बने मंदिर और दीवार को जेसीबी की मदद से ध्वस्त कर दिया। कार्रवाई से पहले नगरपालिका द्वारा इस अतिक्रमण को चिन्हित कर संबंधित लोगों को नोटिस जारी किया गया था, लेकिन अतिक्रमण हटाया नहीं गया, जिसके बाद यह कदम उठाया गया।
अतिक्रमण का सच: क्या कहता है नगरपालिका प्रशासन?
पिलानी नगरपालिका की ईओ प्रियंका चौधरी ने बताया,
“जांच के दौरान स्पष्ट हुआ कि वार्ड नंबर 35 में सरकारी स्कूल के पास का रास्ता लेआउट प्लान में आम जनता के उपयोग के लिए प्रस्तावित है। लेकिन, कुछ लोगों ने दीवार और मंदिर का मंड बनाकर इस रास्ते को बंद कर दिया था।“
उन्होंने आगे कहा,
“नोटिस के बावजूद अतिक्रमण नहीं हटाया गया, जिसके बाद कल जेसीबी से दीवार और मंदिर को ध्वस्त किया गया। उचित स्थान चिन्हित कर मंदिर का पुनर्निर्माण कराया जाएगा।”
गुस्साए लोगों का प्रदर्शन: नगरपालिका के बाहर गूंजे विरोध के नारे
इस कार्रवाई के बाद स्थानीय लोगों में भारी रोष फैल गया।
- प्रदर्शनकारी सुबह से ही नगरपालिका कार्यालय के बाहर इकट्ठा हो गए।
- उन्होंने पालिका प्रशासन पर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया।
- प्रदर्शनकारियों ने पालिका व भाजपा नेता राजेश दहिया के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और फैसले को वापस लेने की मांग की।
एक प्रदर्शनकारी ने कहा,
“यह केवल अतिक्रमण हटाने की बात नहीं है, बल्कि हमारी आस्था पर चोट है। प्रशासन को पहले उचित समाधान करना चाहिए था।”
अंतिम चेतावनी: मामले ने पकड़ा तूल
हालांकि, नगरपालिका ने अपनी कार्रवाई को लेआउट प्लान के तहत सही ठहराया है, लेकिन लोगों का आक्रोश थमने का नाम नहीं ले रहा।
- भाजपा नेता राजेश दहिया ने इसे कानून सम्मत कार्यवाही बताया, दहिया ने कहा कि आस्था का अपमान करने का अधिकार किसी को नहीं है लेकिन कार्रवाई कानून के दायरे में रह कर की गई है।
- ईओ प्रियंका चौधरी ने उचित स्थान पर मंदिर के पुनर्निर्माण का आश्वासन दिया है, लेकिन प्रदर्शनकारी इस आश्वासन से संतुष्ट नहीं दिखे।
- स्थानीय लोगों ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा।
क्या है आगे की राह?
नगरपालिका और स्थानीय लोगों के बीच यह विवाद अब तूल पकड़ चुका है।
- सवाल उठता है कि क्या प्रशासन और जनता के बीच कोई बीच का रास्ता निकलेगा?
- या फिर यह मामला और गंभीर रूप ले सकता है।
पिलानी का यह घटनाक्रम न केवल प्रशासनिक कार्रवाई और धार्मिक भावनाओं के बीच टकराव का उदाहरण है, बल्कि यह भी दिखाता है कि आस्था और कानून के बीच संतुलन बनाए रखना कितना जरूरी है।