नई दिल्ली: युवराज सिंह का शुमार भारत के महानतम ऑलराउंडर्स में किया जाता है। 2007 में भारतीय टीम के टी20 वर्ल्ड कप और 2011 में वनडे वर्ल्ड कप जीतने में युवराज सिंह का योगदान अनमोल था। इन टूर्नामेंटों में उनके प्रदर्शन ने उन्हें क्रिकेट जगत में विशेष स्थान दिलाया। 2007 के टी20 वर्ल्ड कप में, उन्होंने इंग्लैंड के गेंदबाज स्टुअर्ट ब्रॉड के ओवर में छह छक्के जड़े, जो क्रिकेट इतिहास के यादगार क्षणों में से एक बन गया। वहीं, 2011 के वनडे वर्ल्ड कप में, युवराज सिंह को ‘प्लेयर ऑफ द सीरीज’ के रूप में सम्मानित किया गया। उन्होंने इस टूर्नामेंट में 15 विकेट लिए और 362 रन बनाकर भारत को 28 साल बाद वर्ल्ड चैंपियन बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
युवराज सिंह का संन्यास और उनका निजी जीवन
जून 2019 में युवराज सिंह ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले लिया, लेकिन उनका प्रभाव आज भी क्रिकेट प्रेमियों के दिलों में जीवित है। हालांकि, युवराज सिंह रिटायरमेंट के बाद ज्यादा लाइमलाइट में नहीं रहते, उनके पिता योगराज सिंह अपने बयानों के कारण लगातार सुर्खियों में बने रहते हैं।
योगराज सिंह के विवादास्पद बयान
हाल ही में, योगराज सिंह ने एक इंटरव्यू में कुछ ऐसे बयान दिए, जिन्होंने क्रिकेट जगत में हलचल मचा दी। योगराज ने दावा किया कि वह एक बार कपिल देव को गोली मारना चाहते थे, क्योंकि उनकी वजह से उन्हें भारतीय टीम से बाहर होना पड़ा था। योगराज ने बताया, “जब कपिल देव भारत, नॉर्थ जोन और हरियाणा के कप्तान बने, तो उन्होंने बिना किसी कारण मुझे टीम से बाहर कर दिया। मेरी पत्नी चाहती थी कि मैं कपिल से सवाल पूछूं, लेकिन मैंने कहा कि मैं इस आदमी को सबक सिखाऊंगा।”

योगराज ने आगे कहा, “मैंने अपनी पिस्तौल निकाली और सेक्टर 9 में कपिल के घर गया। कपिल और उनकी मां बाहर आए, मैंने उन्हें गालियाँ दीं और कहा कि तुम्हारी वजह से मैंने एक दोस्त खो दिया।” योगराज ने कपिल देव से बातचीत में कहा था कि वह उन्हें गोली मारना चाहते थे, लेकिन कपिल की मां के सामने ऐसा नहीं कर पाए।
महेंद्र सिंह धोनी पर योगराज सिंह की राय
इसके विपरीत, योगराज सिंह ने महेंद्र सिंह धोनी की भी तारीफ की। यह उनके लिए एक अप्रत्याशित बयान था क्योंकि पहले वह धोनी पर कई बार तंज कस चुके थे। योगराज ने कहा, “मुझे धोनी बहुत प्रेरणादायी कप्तान लगते हैं। वह विकेट को पढ़कर गेंदबाजों को बता सकते थे कि कहां गेंदबाजी करनी है। उनकी निडरता काबिल-ए-तारीफ है। एक बार, ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मिचेल जॉनसन की गेंद उनके हेलमेट पर लगी, लेकिन वह बिल्कुल भी नहीं हिले। फिर अगली गेंद पर छक्का जड़ दिया। ऐसे लोग बहुत कम होते हैं।”
युवराज सिंह के कैंसर से जूझने की कहानी
योगराज सिंह ने अपने बेटे युवराज सिंह के कैंसर से जूझने की कहानी भी साझा की। उन्होंने कहा कि अगर युवराज उस दौरान मर भी जाते, तो भी उन्हें गर्व होता। युवराज ने 2011 के वनडे वर्ल्ड कप में कैंसर के बावजूद भारत के लिए शानदार प्रदर्शन किया था, और उन्होंने भारत को विश्व कप जीतने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। योगराज सिंह ने कहा, “देश के लिए अगर युवराज कैंसर से मर जाते तो मुझे पिता के तौर पर गर्व होता।”
महिलाओं और हिंदी भाषा पर विवादास्पद टिप्पणी
योगराज सिंह ने इस इंटरव्यू के दौरान महिलाओं और हिंदी भाषा को लेकर भी कुछ विवादास्पद बयान दिए। उन्होंने कहा कि अगर महिलाओं को सत्ता दी जाएगी, तो वे घर बर्बाद कर देंगी। इसके अलावा, उन्होंने हिंदी को महिलाओं की भाषा बताया, जिससे उनके बयान पर बवाल मच गया। इस प्रकार का बयान न केवल निंदनीय है, बल्कि उन करोड़ों लोगों का अपमान भी है जो हिंदी बोलते और समझते हैं।
मानसिक समस्या का आरोप
युवराज सिंह ने एक इंटरव्यू में कहा था कि उन्हें लगता है कि उनके पिता को मानसिक समस्या है, हालांकि योगराज इसे स्वीकार नहीं करेंगे। 4 नवंबर 2023 को जारी किए गए एक पॉडकास्ट में युवराज ने कहा था, “मैं सोचता हूं कि मेरे पिता को मानसिक समस्या है, लेकिन वह इसे स्वीकार नहीं करेंगे।”
योगराज सिंह का क्रिकेट करियर
योगराज सिंह, जो भारतीय क्रिकेट टीम के लिए मात्र 1 टेस्ट और 6 वनडे मैच खेले, का करियर अपेक्षाकृत छोटा था। उन्होंने टेस्ट डेब्यू 21 फरवरी 1981 को न्यूजीलैंड के खिलाफ किया, जो उनका एकमात्र टेस्ट था। वनडे में उन्होंने 6 मैच खेले और 4 विकेट लिए।