उत्तर प्रदेश: उत्तर प्रदेश विधानसभा में मंगलवार को मानसून सत्र के दूसरे दिन उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध (संशोधन) अधिनियम, 2024 पारित कर दिया गया। इस विधेयक को आमतौर पर ‘लव जिहाद’ बिल कहा जाता है, जो छल कपट या जबर्दस्ती से धर्मांतरण के मामलों में कठोर सजा का प्रावधान करता है।
सख्त सजा का प्रावधान
संशोधित अधिनियम में धोखे से धर्मांतरण करवाकर विवाह करने और उत्पीड़न के मामलों में सख्त सजा का प्रावधान किया गया है। अब ऐसे मामलों में दोषियों को अधिकतम आजीवन कारावास या पांच लाख रुपये तक के जुर्माने की सजा दी जा सकती है। पहले इस अधिनियम में अधिकतम 10 साल की सजा का प्रावधान था, जिसे अब बढ़ाकर आजीवन कारावास तक कर दिया गया है।
अधिनियम में किए गए मुख्य संशोधन
- अधिकतम सजा का प्रावधान: पहले जहां अधिकतम सजा 10 साल थी, वहीं संशोधित अधिनियम में इसे 20 वर्ष कारावास या आजीवन कारावास तक बढ़ा दिया गया है।
- प्राथमिकी दर्ज करने की व्यवस्था: अब कोई भी व्यक्ति धर्मांतरण के मामलों में प्राथमिकी दर्ज करा सकता है, जबकि पहले केवल पीड़ित व्यक्ति या उसके परिजन ही शिकायत कर सकते थे।
- सुनवाई और जमानत: ऐसे मामलों की सुनवाई अब सत्र अदालत में होगी और लोक अभियोजक को मौका दिए बिना जमानत याचिका पर विचार नहीं किया जाएगा। सभी अपराध गैर-जमानती कर दिए गए हैं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कथित ‘लव जिहाद’ के मामलों पर अंकुश लगाने के लिए यह पहल की थी। नवंबर 2020 में इस संदर्भ में एक अध्यादेश जारी किया गया था, जिसे बाद में उत्तर प्रदेश विधानमंडल के दोनों सदनों से पारित कर उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम-2021 के रूप में मान्यता दी गई।
विधेयक की समीक्षा और प्रतिक्रिया
संशोधित अधिनियम पर विचार करते हुए संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने सदन में इसका प्रस्ताव रखा। विधेयक के पारित होने के बाद इसे मंगलवार को विधानसभा में सदन के पटल पर रखा जाएगा। इस विधेयक को लेकर प्रदेश में विभिन्न स्तरों पर प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है।