लाल सागर-हिंद महासागर: यमन में ईरान समर्थक हूती विद्रोहियों ने हाल ही में लाल सागर और हिंद महासागर में अमेरिकी जहाजों को निशाना बनाकर स्थिति को और अधिक गंभीर बना दिया है। हूती विद्रोहियों के प्रवक्ता याह्या सारी ने शनिवार को बताया कि एक अमेरिकी विमानवाहक पोत, एक युद्धपोत समेत और तीन अन्य जहाजों को निशाना बनाकर कुल छह ऑपरेशन चलाए गए।
लाल सागर में अमेरिकी एयरक्राफ्ट कैरियर पर हमला
रॉयटर्स के मुताबिक, हूती प्रवक्ता याह्या सारी ने खुलासा किया कि लाल सागर के उत्तर में अमेरिकी एयरक्राफ्ट कैरियर आइजनहावर पर मिसाइल और ड्रोन से दो बार हमला किया गया। इसके अलावा, लाल सागर में एक युद्धपोत और अबलियानी (ABLIANI) नामक ऑयल टैंकर को भी निशाना बनाया गया। साथ ही मैना (MAINA) जहाज पर भी लाल सागर और अरब सागर में दो बार हमला हुआ।
हिंद महासागर में भी हमले
हूती विद्रोहियों ने हिंद महासागर में अलोराईक जहाज को भी निशाना बनाया। इसके साथ ही, अल-मंदाब जलडमरूमध्य और अदन की खाड़ी में भी मिसाइल और ड्रोन से हमला किया गया। इन हमलों के चलते दुनियाभर के कॉमर्शियल जहाज नवंबर से लाल सागर के बदले अफ्रीका से होकर गुजर रहे हैं।
यह वीडियो 19 दिसंबर को हूती संगठन ने जारी किया था। इसमें उसके लड़ाके जहाज को हाइजैक करते नजर आ रहे हैं।
Yemen 🇾🇪 has captured an Israeli warship in the Red Sea.
— Danny Haiphong (@SpiritofHo) November 20, 2023
Yemen stands with Palestine 🇵🇸 in a big way. pic.twitter.com/YKaypImbj5
इजराइल को टारगेट करने की कोशिश
हूती विद्रोही इजराइल पर युद्ध को खत्म करने के लिए दबाव बना रहे हैं। पिछले महीने ही हूती विद्रोहियों ने लाल सागर और उसके आसपास 100 से ज्यादा हमले किए। फरवरी में हूती विद्रोहियों ने लाल सागर में एक कार्गो शिप गैलेक्सी लीडर को हाईजैक कर लिया था, जो तुर्किये से भारत आ रहा था। हूती विद्रोहियों ने इसे इजराइली जहाज समझकर हाईजैक किया था।
हूती विद्रोही कौन हैं?
हूती विद्रोही यमन में शिया समुदाय से संबंधित हैं और साल 2014 से यमन में गृह युद्ध में शामिल हैं। इस युद्ध की जड़ शिया-सुन्नी विवाद है, जो 2011 में अरब क्रांति की शुरुआत के बाद गृह युद्ध में बदल गया। हूती विद्रोहियों ने सुन्नी सरकार के खिलाफ विद्रोह कर दिया, जिसका नेतृत्व राष्ट्रपति अब्दरब्बू मंसूर हादी कर रहे थे। हूती विद्रोहियों को शिया बहुल देश ईरान का समर्थन प्राप्त है, जबकि यमनी सरकार को सुन्नी बहुल देश सऊदी अरब का समर्थन प्राप्त है।