नई दिल्ली: कांग्रेस की विदेशी इकाई के प्रमुख सैम पित्रोदा ने चीन से जुड़े अपने बयान से एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। उन्होंने कहा कि चीन से खतरे को अक्सर बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जाता है और भारत को चीन को दुश्मन मानना बंद करना चाहिए। पित्रोदा के इस बयान के बाद सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कांग्रेस पर तीखा हमला बोला और उसे “चीन के प्रति आकर्षित” करार दिया।
सैम पित्रोदा का बयान और विवाद
सैम पित्रोदा ने आईएएनएस को दिए एक विशेष साक्षात्कार में कहा, “मैं चीन से खतरे को नहीं समझता। मुझे लगता है कि इस मुद्दे को अक्सर बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जाता है क्योंकि अमेरिका की प्रवृत्ति दुश्मन को परिभाषित करने की है। मेरा मानना है कि सभी देशों के लिए सहयोग करने का समय आ गया है, टकराव का नहीं।” उन्होंने यह टिप्पणी उस सवाल के जवाब में की कि क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप चीन से खतरे को नियंत्रित करने में सक्षम होंगे।
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भाजपा ने कांग्रेस पर किया पलटवार
भाजपा ने सैम पित्रोदा के बयान को लेकर कांग्रेस पर सीधा हमला बोला। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता तुहिन सिन्हा ने कहा, “जिन्होंने हमारी 40,000 वर्ग किमी जमीन चीन को सौंप दी, उन्हें अब भी ड्रैगन से कोई खतरा नहीं दिख रहा है। इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि राहुल गांधी चीन से खौफ में हैं और आईएमईईसी की घोषणा से एक दिन पहले बीआरआई की वकालत कर रहे थे। चीन के प्रति कांग्रेस पार्टी के जुनूनी आकर्षण का मूल रहस्य 2008 के कांग्रेस-चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) समझौता ज्ञापन (MoU) में छिपा है।”
भाजपा ने कांग्रेस पर 2008 के उस समझौते को लेकर भी निशाना साधा, जिसमें कथित रूप से कांग्रेस और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के बीच रणनीतिक संबंधों को मजबूत करने की बात कही गई थी।
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सैम पित्रोदा के विवादास्पद बयान
यह पहली बार नहीं है जब सैम पित्रोदा के किसी बयान से विवाद खड़ा हुआ हो। इससे पहले भी उनके कई बयान सुर्खियों में रहे हैं:
- विरासत कर (संपत्ति का बंटवारा): पित्रोदा ने संपत्ति विरासत कर की वकालत की थी, जिससे देश में बड़ा विवाद हुआ था।
- राम मंदिर पर विवादास्पद टिप्पणी: उन्होंने राम मंदिर निर्माण को लेकर बयान दिया था, जिससे भाजपा और हिंदू संगठनों में रोष उत्पन्न हुआ।
- 1984 के सिख विरोधी दंगे: उन्होंने इन दंगों पर टिप्पणी करते हुए कहा था – ‘हुआ तो हुआ’। इस बयान को लेकर कांग्रेस को भारी आलोचना झेलनी पड़ी थी।
- बालाकोट एयरस्ट्राइक पर सवाल: उन्होंने भारतीय वायुसेना द्वारा पाकिस्तान के बालाकोट में की गई एयरस्ट्राइक पर संदेह जताया था।
- संविधान निर्माण में नेहरू का योगदान: उन्होंने दावा किया था कि संविधान निर्माण में पंडित जवाहरलाल नेहरू का योगदान सबसे अहम था, जिससे अन्य नेताओं की भूमिका पर सवाल खड़ा हुआ।