चिड़ावा: सेहीकलां गांव के शिवालय मंदिर में चल रही श्री शिव महापुराण कथा में तीसरे दिन श्रद्धालु शिव-पार्वती विवाह की झांकी और भक्तिमय भजनों में डूबे नजर आए। इस अवसर पर व्यास पीठ से प्रवचन करते हुए कथा वाचक वाणी भूषण पंडित प्रभुशरण तिवाड़ी ने भगवान शिव की महिमा का बखान करते हुए कहा कि शिव ओघड़ दानी हैं और वे थोड़े से सच्चे भाव से भी जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं।
उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति मन, वचन और कर्म से एकनिष्ठ होकर भगवान शिव की आराधना करता है, शिव उसे अपना बना लेते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि भगवान शिव की उपासना में अभिमान का कोई स्थान नहीं है, साधक को शुद्ध मन और समर्पित भाव से ही उनकी आराधना करनी चाहिए। प्रवचन में शिव की विभिन्न लीलाओं के साथ शिव-पार्वती विवाह प्रसंग का विशद वर्णन किया गया, जिसे श्रद्धालुओं ने ध्यानपूर्वक सुना।
कथा से पहले यजमान अरुण कुमार शर्मा ने पत्नी सहित विधिवत पूजन कर कथा का आरंभ किया। शिव-पार्वती के विवाह की सजीव झांकी और भावपूर्ण भजनों की प्रस्तुति ने वातावरण को भक्तिमय बना दिया। भजन गायकों की सुरीली प्रस्तुति पर श्रोतागण झूमते नजर आए।
कथा कार्यक्रम में डॉ. जगदीश प्रसाद शर्मा, रतिराम महरिया, संतोष सिंह शेखावत, जितेंद्र जांगीड़, रवि वर्मा, राकेश पूनिया, बाबूलाल शर्मा, बुद्धिधर कुलहरी, पवन शर्मा, संदीप शर्मा, अशोक शर्मा, हजारीलाल शर्मा, शिवलाल शर्मा, नंदलाल स्वामी, बिहारीलाल शर्मा, गजाननंद शर्मा, पूर्व सरपंच जगदीश बड़सरा और श्रीचंद पूनिया सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु महिला-पुरुष उपस्थित रहे।

कथा के दौरान शिव-पार्वती विवाह की झांकी ने विशेष आकर्षण बटोरी। श्रद्धालुओं ने इसे धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से एक अनूठा अनुभव बताया। आयोजकों के अनुसार, कथा का समापन श्रावण मास के पावन अवसर पर रुद्राभिषेक और भंडारे के साथ होगा।