पाकिस्तान: भारत और पाकिस्तान के बीच पिछले सप्ताह अचानक उभरे सैन्य तनाव ने उपमहाद्वीप को युद्ध के मुहाने पर खड़ा कर दिया था। दक्षिण कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान-अधिकृत कश्मीर (PoK) में स्थित आतंकवादी लॉन्चपैड्स पर लक्षित ड्रोन और मिसाइल हमले किए, जिससे दोनों देशों के बीच स्थितियाँ तेजी से बिगड़ गईं। जवाब में पाकिस्तान की ओर से भी मिसाइल हमले हुए और सीमा पर गोलीबारी तेज हो गई।
शनिवार को दोनों देशों ने सीमा, समुद्र और वायु क्षेत्र में सभी प्रकार की सैन्य कार्रवाइयों को तत्काल रोकने का निर्णय लिया। भारत ने इसे “आपसी समझ” कहा है जबकि पाकिस्तान इसे “सीजफायर समझौता” बता रहा है।

ख्वाजा आसिफ का इंटरव्यू: बातचीत की शर्तें और संभावनाएं
रविवार को पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने एक टेलीविजन चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा कि यदि भविष्य में भारत के साथ कोई वार्ता होती है, तो तीन प्रमुख मुद्दे— कश्मीर, सिंधु जल संधि (Indus Waters Treaty) और आतंकवाद —उस वार्ता का हिस्सा हो सकते हैं।
उन्होंने कहा,
“ये तीन अहम मुद्दे हैं जिन पर चर्चा हो सकती है। हम सीजफायर पर कायम रहेंगे और उम्मीद करते हैं कि यह स्थायी शांति की दिशा में एक प्रारंभिक कदम साबित हो।”
हालांकि, आसिफ ने यह भी जोड़ा कि अभी कोई निष्कर्ष निकालना जल्दबाज़ी होगी। उन्होंने कूटनीतिक भाषा में भारत की नेतृत्वकारी राजनीति से आग्रह किया कि वह पूरे दक्षिण एशिया की स्थिरता को प्राथमिकता दे।
अंतरराष्ट्रीय सहयोग की सराहना
ख्वाजा आसिफ ने अपने बयान में उन देशों की प्रशंसा की जिन्होंने मौजूदा तनाव के दौरान कूटनीतिक संतुलन बनाए रखा। इसमें चीन, तुर्किये, अज़रबैजान, और खाड़ी देशों जैसे राष्ट्रों का विशेष उल्लेख किया गया। पाकिस्तान का यह रुख अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी स्थिति मजबूत करने का संकेत माना जा रहा है।

भारत की प्रतिक्रिया का इंतज़ार
भारत की ओर से अब तक ख्वाजा आसिफ के बयान पर कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। लेकिन भारतीय सामरिक विशेषज्ञ मानते हैं कि यह बयान पाकिस्तान की ओर से अंतरराष्ट्रीय दबाव और आंतरिक राजनीतिक अस्थिरता के बीच शांति की पहल दिखाने की रणनीति हो सकती है।
एक वरिष्ठ रक्षा विश्लेषक के अनुसार,
“यह संभव है कि पाकिस्तान वर्तमान में विश्व समुदाय को यह संकेत देना चाहता है कि वह तनाव नहीं बल्कि संवाद चाहता है, हालांकि उसकी नीयत को लेकर संदेह बना रहेगा जब तक ठोस कदम सामने नहीं आते।”