Monday, July 21, 2025
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सिंघानिया विश्वविद्यालय में ‘आर्ट ऑफ लिविंग’ के सहयोग से चार दिवसीय फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम, श्री श्री रविशंकर ने दिए ऑनलाइन संबोधन से जीवन जीने के सूत्र

सिंघाना: पचेरी बड़ी स्थित सिंघानिया विश्वविद्यालय ने शिक्षा के क्षेत्र में नवाचार और मानवीय मूल्यों को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल करते हुए ‘आर्ट ऑफ लिविंग’ संस्था के सहयोग से चार दिवसीय फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम (FDP) का आयोजन किया। कार्यक्रम का उद्देश्य शिक्षकों के मानसिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक विकास को सुदृढ़ करना रहा।

इस आयोजन की विशेषता रही ‘आर्ट ऑफ लिविंग’ के संस्थापक और अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त आध्यात्मिक मार्गदर्शक श्री श्री रविशंकर का ऑनलाइन माध्यम से जुड़कर प्रतिभागियों को प्रेरणादायक संबोधन। उन्होंने शिक्षकों को जीवन में शांति, सेवा और संतुलन बनाए रखने के व्यावहारिक तरीके साझा किए। उनके विचारों ने उपस्थित शिक्षकों को जीवन के प्रति एक नया दृष्टिकोण अपनाने के लिए प्रेरित किया।

कार्यक्रम में ध्यान, तनाव प्रबंधन, सकारात्मक सोच और सरल जीवनशैली को लेकर विविध अभ्यास सत्र आयोजित किए गए। इन सत्रों का संचालन संस्था की अनुभवी प्रशिक्षक अरुणिमा शर्मा और स्वाति रावत ने किया। उन्होंने प्रतिभागियों को तनाव से मुक्त जीवन की कला सिखाते हुए आत्म-विकास के अभ्यास कराए।

कैंपस निदेशक पी.एस. जस्सल ने इस पहल को विश्वविद्यालय के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण बताया और कहा कि शिक्षकों का समग्र विकास ही गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की नींव है। उन्होंने चेयरमैन रवि सिंघानिया और अध्यक्ष मनोज कुमार (सेवानिवृत्त आईएएस) का आभार जताया, जिनके मार्गदर्शन में इस तरह के जीवनोपयोगी कार्यक्रम संभव हो पाए हैं।

गौरतलब है कि सिंघानिया विश्वविद्यालय और ‘आर्ट ऑफ लिविंग’ संस्था के बीच पूर्व में एक एमओयू भी हस्ताक्षरित हो चुका है, जिसके तहत समय-समय पर ऐसे स्वास्थ्य एवं आत्मिक विकास को बढ़ावा देने वाले कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।

इस चार दिवसीय कार्यक्रम में शामिल शिक्षकों ने अनुभव साझा करते हुए बताया कि यह सत्र न केवल उनके व्यक्तिगत जीवन में संतुलन लाने में सहायक रहा, बल्कि शिक्षण कार्य में भी नई ऊर्जा और संवेदना भरने वाला सिद्ध हुआ। आयोजन को शिक्षकों ने अत्यंत सार्थक और प्रेरणास्पद बताते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन को धन्यवाद दिया।

यह पहल शिक्षा जगत में शिक्षक-सशक्तिकरण की दिशा में एक सशक्त उदाहरण बनकर सामने आई है और भविष्य में ऐसी पहलें विश्वविद्यालय की प्रगतिशील सोच को दर्शाती हैं।

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