कोलंबो, 28 अप्रैल 2024: श्रीलंका सरकार ने शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण फैसला लेते हुए हंबनटोटा में स्थित मटाला राजपक्षे अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के प्रबंधन का जिम्मा भारत और रूस की कंपनियों को सौंप दिया है। यह फैसला चीन के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है, जिसने हवाई अड्डे के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और इसे श्रीलंका पर कब्जे का एक साधन के रूप में देखा जाता था।
भारतीय और रूसी कंपनियों को 30 साल का करार
श्रीलंका के मंत्री बंडुला गनवार्डेना ने बताया कि कैबिनेट ने भारतीय कंपनी एयरोनॉटिक्स (प्राइवेट) लिमिटेड और रूसी कंपनी एयरपोर्ट्स ऑफ रीजन्स मैनेजमेंट कंपनी को 30 साल की अवधि के लिए हवाई अड्डे का संचालन करने की जिम्मेदारी सौंपी है।
चीन की भारी ऋण योजना का खुलासा
यह फैसला ऐसे समय में सामने आया है जब श्रीलंका चीन द्वारा दिए गए भारी कर्ज के बोझ से दब रहा है। चीन ने मटाला राजपक्षे हवाई अड्डे सहित कई बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए श्रीलंका को अरबों डॉलर का ऋण दिया था।
हवाई अड्डा घाटे में चल रहा था
मटाला राजपक्षे हवाई अड्डे का निर्माण 209 मिलियन अमेरिकी डॉलर की लागत से किया गया था, लेकिन उड़ानों की कमी के कारण यह भारी घाटे में चल रहा था। इसे दुनिया का सबसे खाली और सुनसान हवाई अड्डा भी करार दिया गया था।
भारतीय कंपनियों में श्रीलंका को उम्मीद
श्रीलंका सरकार को उम्मीद है कि भारतीय और रूसी कंपनियां हवाई अड्डे के प्रबंधन को बेहतर बनाएंगी और इसे लाभदायक बनाएंगी। साथ ही, यह भारत और श्रीलंका के बीच बढ़ते रणनीतिक और आर्थिक संबंधों को भी दर्शाता है।