नई दिल्ली: देश भर में वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को लेकर राजनीतिक व सामाजिक हलकों में भारी उथल-पुथल मची हुई है। पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, दिल्ली और अन्य राज्यों में इस विधेयक के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन और विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं। पश्चिम बंगाल के कई जिलों में विरोध हिंसक रूप ले चुका है, जिससे प्रशासनिक चिंता बढ़ गई है।
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की तैयारी, 16 अप्रैल को अहम दिन
वक्फ कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गई हैं, जिनमें इसके प्रावधानों को मौलिक अधिकारों के खिलाफ बताते हुए संविधान की कसौटी पर परखने की मांग की गई है। सुप्रीम कोर्ट ने इन याचिकाओं को सुनवाई के लिए 16 अप्रैल को सूचीबद्ध किया है।

थलापति विजय भी पहुंचे सुप्रीम कोर्ट
साउथ के मशहूर एक्टर और तमिलगा वेत्री कझगम पार्टी के नेता थलापति विजय ने भी वक्फ अधिनियम के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। उनकी पार्टी लंबे समय से इस कानून का विरोध करती आ रही है। पार्टी का आरोप है कि यह अधिनियम “धार्मिक आधार पर भेदभाव” करता है और इससे “सांप्रदायिक तनाव को बढ़ावा” मिल सकता है।
थलापति विजय ने अपने बयान में कहा, “यह अधिनियम समानता और धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों का उल्लंघन करता है। हमें न्यायपालिका पर भरोसा है और हमें उम्मीद है कि सर्वोच्च न्यायालय संविधान की रक्षा करेगा।”
अब तक दायर हुई प्रमुख याचिकाएं
सुप्रीम कोर्ट में अब तक निम्नलिखित प्रमुख नेताओं और संगठनों की ओर से याचिकाएं दायर की जा चुकी हैं:
- असदुद्दीन ओवैसी (एआईएमआईएम) – वक्फ संशोधन अधिनियम की संवैधानिक वैधता को चुनौती
- अमानतुल्ला खान (आप विधायक)
- एसोसिएशन फॉर द प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स
- अरशद मदनी
- समस्त केरल जमीयतुल उलेमा
- अंजुम कादरी, तैय्यब खान सलमानी, मोहम्मद शफी, मोहम्मद फजलुर्रहीम
- मनोज झा (राजद नेता)
कुछ अन्य याचिकाएं अभी भी सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री में लंबित हैं जिन्हें शीघ्र ही सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जा सकता है।

संसद में हुआ था जबरदस्त हंगामा
इस विधेयक को संसद में प्रस्तुत किए जाने के दौरान तीखी बहस और हंगामा देखने को मिला।
- राज्यसभा में 128 मत विधेयक के पक्ष में, जबकि 95 मत विरोध में पड़े।
- लोकसभा में 288 वोट समर्थन में जबकि 232 विरोध में गए।