पिलानी: झुंझुनूं जिले के खेड़ला गांव से एक अत्यंत संवेदनशील मामला सामने आया है, जिसने पूरे इलाके को झकझोर कर रख दिया है। यहां एक निजी फाइनेंस कंपनी ने लोन की अदायगी न हो पाने पर एक गरीब महिला को उसके बच्चों सहित घर से निकाल दिया। इस कार्रवाई के बाद महिला और उसके मासूम बच्चे खुले आसमान के नीचे जिंदगी गुजारने को मजबूर हैं।
घटना 28 जुलाई की है, जब ‘आवास’ नामक एक प्राइवेट फाइनेंस कंपनी ने SARFAESI एक्ट 2002 के तहत महिला के घर पर कब्जा कर मकान को सील कर ताला लगा दिया। जानकारी के अनुसार, महिला के पति ईश्वर नायक ने कुछ वर्ष पूर्व उक्त कंपनी से लोन लिया था, लेकिन वह तीन साल पहले रहस्यमय तरीके से घर से लापता हो गया। पति के लापता हो जाने के बाद महिला ने अकेले ही अपने बच्चों की परवरिश की जिम्मेदारी उठाई। वह एक निजी स्कूल में सफाईकर्मी के रूप में कार्य करती है और उसी मामूली आय से घर चलाती थी।
आर्थिक तंगी के चलते वह लोन की किश्तें समय पर नहीं चुका सकी, जिस पर फाइनेंस कंपनी ने अचानक सख्त कदम उठाते हुए मकान पर कब्जा जमा लिया। अब महिला और उसके दो छोटे बच्चे बारिश के मौसम में सिर पर छत के बिना रह रहे हैं। स्थानीय लोगों की सहायता से भोजन और कुछ कपड़े तो उन्हें मिल रहे हैं, लेकिन रात्रि को छत के अभाव में सड़क किनारे गुजारना पड़ रहा है।
पड़ोसियों का कहना है कि किसी भी आर्थिक रूप से कमजोर परिवार के साथ इतनी कठोरता और संवेदनहीनता अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। लोगों ने प्रशासन से आग्रह किया है कि महिला और उसके बच्चों को त्वरित राहत दी जाए और उनके रहने की उचित व्यवस्था की जाए।
ग्रामीणों के अनुसार, यह घटना न केवल प्रशासनिक संवेदनशीलता की परीक्षा है बल्कि यह सवाल भी उठाती है कि क्या कानून का उपयोग सामाजिक मानवीयता से ऊपर होना चाहिए? महिला का कहना है कि उसे किसी तरह की पूर्व सूचना नहीं दी गई और एकदम से आकर घर खाली करवा लिया गया। वह अब भी प्रशासन से उम्मीद लगाए बैठी है कि कोई उसकी और उसके बच्चों की मदद के लिए आगे आएगा।
यह मामला ग्रामीण समाज में आर्थिक व सामाजिक सुरक्षा तंत्र की खामियों को उजागर करता है। जरूरतमंदों के लिए सरकारी और गैर-सरकारी योजनाओं की समीक्षा तथा जरूरतमंदों तक तत्काल मदद पहुंचाना अब बेहद जरूरी हो गया है।