नई दिल्ली: 20 अगस्त 2025 को संसद के मानसून सत्र में उस वक्त जबरदस्त हंगामा हुआ, जब केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने संविधान का 130वां संशोधन विधेयक लोकसभा में पेश किया। इस बिल में प्रावधान है कि यदि कोई प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्री भ्रष्टाचार या गंभीर अपराध के मामले में लगातार 30 दिन से अधिक जेल में रहता है तो वह स्वतः अयोग्य घोषित होगा।
अमित शाह का बयान: “निर्लज्ज होकर सत्ता नहीं चल सकती”
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि इस विधेयक का उद्देश्य राजनीति में शुचिता और नैतिकता बनाए रखना है। उन्होंने विपक्ष को निशाने पर लेते हुए कहा कि कांग्रेस हमेशा प्रधानमंत्री को कानून से ऊपर मानने की नीति अपनाती रही है, जबकि भाजपा अपने नेताओं को भी कानून के दायरे में लाने के लिए प्रतिबद्ध है। शाह ने जोर देकर कहा कि “हम ऐसे निर्लज्ज नहीं हो सकते कि हम पर आरोप लगे और हम संवैधानिक पद पर बने रहें।”
विपक्ष का हमला: राहुल गांधी और ममता बनर्जी का बयान
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस बिल को लोकतंत्र विरोधी बताया और कहा कि मोदी सरकार इस संशोधन के जरिए विपक्षी दलों की सरकारें गिराने की साजिश रच रही है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इसे ‘सुपर-आपातकाल’ करार दिया और आरोप लगाया कि भाजपा भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों को खत्म करने की कोशिश कर रही है।
आम आदमी पार्टी का आरोप: “भाजपा विपक्ष तोड़ने की साजिश कर रही”
आप नेताओं ने कहा कि इस बिल का उद्देश्य विपक्षी दलों की सरकारों को गिराना और उनके नेताओं को फर्जी मामलों में फंसाना है। पार्टी प्रवक्ताओं ने कहा कि अरविंद केजरीवाल पहले ही इस रणनीति को समझ चुके थे, इसलिए जेल से बाहर आने के बाद उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर भाजपा की चाल को नाकाम कर दिया।
अमित शाह का पलटवार: “जेल से सरकार चलाना चाहते हैं विपक्षी”
लोकसभा में बहस के बाद अमित शाह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा कि कांग्रेस और विपक्षी दल “जेल से सरकार चलाने” और “कुर्सी का मोह न छोड़ने” के लिए इस बिल का विरोध कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद को भी इस दायरे में लाने का साहस दिखाया है।