नई दिल्ली: विपक्षी दलों का INDIA ब्लॉक, जिसे लोकसभा चुनावों से पहले भाजपा के खिलाफ एकजुटता का प्रदर्शन करने के लिए बनाया गया था, अब अंदरूनी मतभेदों और विचारधारा की असमानताओं से जूझ रहा है। राहुल गांधी और कांग्रेस द्वारा उठाए गए मुद्दे, विशेषकर अडानी ग्रुप के कारोबार की जेपीसी जांच की मांग, अब सहयोगी दलों के बीच तनाव का कारण बन रही हैं।
4 जून से शुरू हुई एकजुटता, लेकिन दरारें स्पष्ट
4 जून को उपचुनावों के नतीजों के बाद विपक्षी एकजुटता का बड़ा प्रदर्शन देखने को मिला था। राहुल गांधी और विपक्षी सांसदों ने संविधान की प्रतियां हाथ में लेकर लोकसभा में शपथ ली थी। प्रियंका गांधी वाड्रा, जो वायनाड से उपचुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचीं, ने भी इस परंपरा को कायम रखा।
हालांकि, इस एकजुटता को अडानी ग्रुप के कारोबार की जांच पर विचार-विमर्श के दौरान गंभीर झटके लगे। 25 और 27 नवंबर को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा बुलाई गई INDIA ब्लॉक की बैठक में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने हिस्सा नहीं लिया।
शीतकालीन सत्र में प्रदर्शन, लेकिन सहयोगियों की गैरहाजिरी
4 दिसंबर को संसद के शीतकालीन सत्र में कांग्रेस ने अडानी का मुद्दा जोर-शोर से उठाया और इसके बाद वॉकआउट किया। लेकिन इस प्रदर्शन में न टीएमसी और न ही समाजवादी पार्टी (सपा) के सांसद शामिल हुए। विरोध प्रदर्शन में केवल राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, मीसा भारती, आम आदमी पार्टी (AAP) के संजय सिंह और शिवसेना (यूबीटी) के अरविंद सावंत जैसे नेता उपस्थित रहे।
सपा और टीएमसी से बढ़ता तनाव
संभल हिंसा के पीड़ित परिवारों से मुलाकात के लिए राहुल गांधी और प्रियंका गांधी का कार्यक्रम समाजवादी पार्टी को नागवार गुजरा। सपा महासचिव राम गोपाल यादव ने कांग्रेस की इस पहल को ‘रस्मअदायगी’ करार दिया। अखिलेश यादव भी राहुल गांधी की इन रणनीतियों से असहमति जताते नजर आए।
वहीं, ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस ने कांग्रेस की बैठकों और प्रदर्शनों से दूरी बना ली है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अधीर रंजन चौधरी को पश्चिम बंगाल कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटाने का फैसला भी ममता बनर्जी को खुश रखने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।
‘सामना’ में कांग्रेस को सलाह
शिवसेना (यूबीटी) के मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में कांग्रेस को आत्मनिरीक्षण करने और विपक्षी दलों के साथ बेहतर समन्वय बनाने की सलाह दी गई। उद्धव ठाकरे ने AAP और ममता बनर्जी को INDIA ब्लॉक का अभिन्न हिस्सा बनाए रखने पर जोर दिया।
अडानी मुद्दा: कांग्रेस के लिए दोधारी तलवार
राहुल गांधी द्वारा बार-बार उठाया गया अडानी ग्रुप का मुद्दा कांग्रेस के लिए राजनीतिक रूप से भारी पड़ता दिख रहा है। विपक्षी दल इस मुद्दे पर कांग्रेस से सहमत नहीं हैं और यह गठबंधन में दरार का मुख्य कारण बनता जा रहा है।