हाथरस, उत्तर प्रदेश: लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले का दौरा किया, जहां उन्होंने 2020 में हुए एक अत्यंत संवेदनशील और चर्चित रेप मामले की पीड़िता के परिवार से मुलाकात की। यह दौरा तब हुआ, जब परिवार ने राहुल गांधी को एक पत्र लिखकर योगी सरकार द्वारा किए गए वादों का जिक्र करते हुए उनका ध्यान इस मामले की ओर आकर्षित किया था। इस पत्र में आरोप लगाया गया था कि सरकार ने जो वादे किए थे, उन्हें अब तक पूरा नहीं किया गया है, जिसके कारण पीड़िता के परिवार की स्थिति कठिन बनी हुई है।
राहुल गांधी के हाथरस पहुंचने के बाद, एक बार फिर से हाथरस का वह मूलगादी गांव और चंद्रपा थाना चर्चा में आ गए हैं, जहां 4 साल पहले एक दलित युवती की मौत ने न सिर्फ प्रदेश बल्कि पूरे देश में सियासी तूफान खड़ा कर दिया था। राहुल गांधी की यह यात्रा पिछले कुछ दिनों में उनकी प्रियंका गांधी के साथ संभल हिंसा में मारे गए पांच लोगों के परिवारों से मिलने के बाद हुई थी, जिसे लेकर उन्होंने राज्य सरकार की निंदा की थी।
परिवार का पत्र: वादे और आक्रोश
हाथरस पीड़िता के परिवार ने 2 जुलाई 2024 को राहुल गांधी को एक पत्र भेजा, जिसमें उन्होंने कहा कि योगी सरकार ने उन्हें घर और नौकरी देने का वादा किया था, लेकिन अब तक कोई वादा पूरा नहीं किया गया। परिवार ने यह भी दावा किया कि वे पिछले चार वर्षों से एक तरह की जेल जैसी स्थिति में रह रहे हैं, जहां पुलिस उनके घर के चारों ओर घेराबंदी करती है और कहीं भी जाने पर उनका पीछा करती है। इसके अलावा, परिवार ने यह भी कहा कि उन्हें अपनी बेटियों की पढ़ाई में दिक्कतें आ रही हैं और उनकी आर्थिक और मानसिक स्थिति बेहद खराब है।
राहुल गांधी ने इस पत्र को गंभीरता से लिया और परिवार से मिलने का फैसला किया। उनका यह दौरा एक महत्वपूर्ण राजनीतिक बयान बन गया, जिसमें उन्होंने राज्य सरकार के वादों की याद दिलाई और पीड़िता के परिवार की समस्याओं को सामने लाया।
डिप्टी सीएम का बयान
उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने राहुल गांधी के हाथरस दौरे पर तंज कसते हुए कहा कि राहुल गांधी हताश हो चुके हैं और उन्हें यह भी नहीं पता कि हाथरस मामले की सीबीआई जांच हो चुकी है और यह मामला कोर्ट में चल रहा है। पाठक ने आगे कहा कि राज्य सरकार ने कानून-व्यवस्था और इंफ्रास्ट्रक्चर के मामलों में काफी सुधार किया है, और राहुल गांधी चाहते हैं कि वह इस मामले को लेकर अराजकता की स्थिति पैदा करें।
हाथरस मामला: एक दर्दनाक घटना
हाथरस का मामला 14 सितंबर 2020 को सामने आया था, जब 19 वर्षीय दलित युवती को गंभीर अवस्था में बूलगढ़ी गांव में पाया गया था। पीड़िता ने अपनी मां और भाई के साथ चंदपा थाने में शिकायत दर्ज कराई, जिसमें आरोप लगाया गया कि गांव के एक व्यक्ति संदीप ठाकुर ने उसके साथ बलात्कार किया और उसे जान से मारने की कोशिश की। इसके बाद, पुलिस ने मामले को पारिवारिक विवाद बताते हुए इसे जल्दी सुलझाने का दावा किया, लेकिन जब पीड़िता ने अपनी आपबीती साझा की, तो मामला और गंभीर हो गया।
पीड़िता की स्थिति बिगड़ने पर उसे अलीगढ़ के जेएन मेडिकल कॉलेज में भर्ती किया गया, लेकिन 29 सितंबर को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में इलाज के दौरान उसकी मृत्यु हो गई। मामले ने राजनीतिक रूप से भी तूल पकड़ा, और कांग्रेस सहित अन्य दलों के नेता हाथरस पहुंचने लगे। इस बीच, पीड़िता के शव को लेकर विवाद हुआ, क्योंकि पुलिस ने उसे अंधेरे में दबाव डालकर अंतिम संस्कार करवा दिया।
पुलिस जांच और सीबीआई की भूमिका
मामले में पुलिस ने शुरू में दावा किया कि मेडिकल रिपोर्ट में रेप की पुष्टि नहीं हुई और न ही पीड़िता की जीभ काटी गई थी। इसके बाद, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मामले की जांच के लिए एसआईटी गठित की और उच्च अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की। 2 अक्टूबर 2020 को जांच रिपोर्ट के आधार पर हाथरस के एसपी विक्रांत वीर, डिप्टी एसपी और स्थानीय इंस्पेक्टर चंदपा को निलंबित कर दिया गया। बाद में, सीबीआई जांच का आदेश दिया गया, जिसमें आरोपियों से पॉलीग्राफ और ब्रेन मैपिंग टेस्ट करवाए गए।
सीबीआई ने मामले में चार्जशीट दाखिल की, जिसमें गैंग रेप और हत्या के आरोप लगाए गए। 18 दिसंबर 2020 को कोर्ट में आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई, और 2 मार्च 2023 को कोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद तीन आरोपियों को बरी कर दिया, जबकि मुख्य आरोपी संदीप सिसोदिया को दोषी मानते हुए उम्रभर की सजा सुनाई गई।