जोधपुर: राजस्थान हाईकोर्ट ने एक ऐसी याचिका को गंभीरता से लिया जिसमें 101 याचिकाकर्ताओं ने हस्ताक्षर किए थे, लेकिन बाद में पता चला कि 13 याचिकाकर्ताओं को छोड़कर बाकी 88 याचिकाकर्ताओं के हस्ताक्षर फर्जी थे। इस गंभीर मामले को देखते हुए जस्टिस दिनेश मेहता की एकलपीठ ने रजिस्ट्रार न्यायिक को आदेश दिया कि वे इस मामले में प्राथमिकी दर्ज करने के लिए अनुमति के लिए प्रधान न्यायाधीश (सीजे) के समक्ष पेश हों।
सीजे से मिलने के बाद ही दर्ज होगी प्राथमिकी
अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि सीजे से प्रशासनिक अनुमति मिलने के बाद ही इस मामले में प्राथमिकी दर्ज की जा सकेगी।
क्या हुआ था मामले में?
दरअसल, कुछ लोगों ने मिलकर हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी। इस याचिका में 101 याचिकाकर्ताओं ने हस्ताक्षर किए थे। लेकिन बाद में कुछ याचिकाकर्ताओं ने सामने आकर कहा कि उन्होंने इस याचिका में हस्ताक्षर नहीं किए हैं। उन्होंने बताया कि उनके हस्ताक्षर जाली हैं।
अदालत ने लिया संज्ञान
इस मामले की जानकारी मिलने के बाद हाईकोर्ट ने तुरंत संज्ञान लिया। जस्टिस दिनेश मेहता की एकलपीठ ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए रजिस्ट्रार न्यायिक को आदेश दिया कि वे इस मामले में प्राथमिकी दर्ज करने के लिए अनुमति के लिए प्रधान न्यायाधीश (सीजे) के समक्ष पेश हों।
यह मामला है गंभीर
यह मामला इसलिए भी गंभीर है क्योंकि इसमें न्यायिक प्रक्रिया से छेड़छाड़ की कोशिश की गई है। फर्जी हस्ताक्षर करके याचिका दायर करना एक अपराध है। ऐसे में हाईकोर्ट का इस मामले को गंभीरता से लेना स्वाभाविक है।