जयपुर, राजस्थान: राजस्थान की वित्त मंत्री दिया कुमारी ने आज सुबह 11 बजे विधानसभा में भजनलाल सरकार का दूसरा पूर्ण बजट पेश किया। यह बजट एक ऐतिहासिक क्षण होगा, क्योंकि यह राइजिंग राजस्थान के बाद प्रदेश का पहला ‘ग्रीन थीम बजट’ है, जो रिन्यूएबल एनर्जी, रूरल डेवलपमेंट और इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट पर केंद्रित होगा। बजट की कॉपियां विधानसभा में बड़े बैग में भरकर लगभग डेढ़ घंटा पहले पहुंचा दी गई थीं, और इससे संबंधित कई अहम घोषणाओं की उम्मीद जताई जा रही है।

ग्रीन बिल्डिंग्स, सोलर एनर्जी और ई-व्हीकल्स पर ध्यान केंद्रित
इस बजट में राज्य सरकार की ओर से ग्रीन बिल्डिंग्स, सोलर एनर्जी, इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (ई-व्हीकल्स) और पॉल्यूशन कंट्रोल को प्राथमिकता दी जाएगी। प्रदेश में इलेक्ट्रिक व्हीकल की खरीद पर टैक्स छूट की घोषणा की जा सकती है, इसके साथ ही चार्जिंग पॉइंट्स की संख्या बढ़ाने के लिए बजट में नई योजनाओं का ऐलान संभव है। राज्य सरकार ने सोलर एनर्जी प्रोडक्शन को बढ़ावा देने के लिए भी कदम उठाए हैं। इसके अलावा, नई फैक्ट्रियों की स्थापना और टेक्सटाइल इंडस्ट्री के लिए सब्सिडी व टैक्स छूट की घोषणाएं हो सकती हैं। साथ ही, नए इंडस्ट्रियल एरिया के विकास के लिए भी बजट में प्रावधान किया जा सकता है, जिससे प्रदेश में निवेश और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
किसानों, महिलाओं और कर्मचारियों के लिए बड़े ऐलान
बजट में किसानों के लिए भी कई अहम घोषणाएं की जा सकती हैं। राजस्थान सरकार का उद्देश्य किसानों को दिन में बिजली देने के साथ ही अन्य योजनाओं का लाभ प्रदान करना है। इस बजट में सरकारी नौकरियों के लिए भी बड़ी घोषणाएं हो सकती हैं, जिससे राज्य के बेरोजगारों को रोजगार के अवसर मिल सकते हैं। इसके अलावा, स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने के लिए नई योजनाओं का ऐलान हो सकता है। महिलाएं और राज्य कर्मचारी भी इस बजट से बड़े लाभ की उम्मीद कर रहे हैं, खासकर महिलाओं के लिए योजनाओं के विस्तार की संभावना है।
मुफ्त योजनाओं को बंद किए जाने का संकेत
भजनलाल सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती राज्य के राजस्व और खर्च का संतुलन बनाना है। यही कारण है कि इस बजट को कोई ‘फ्रीबिज’ वाला बजट नहीं माना जा रहा है, और पिछली गहलोत सरकार के कार्यकाल में जनता को दी गईं कई असाधारण रियायतों को वापस लिया जा सकता है। सरकार का उद्देश्य टूरिज्म क्षेत्र को बढ़ावा देना और उसे सशक्त करना भी है, ताकि राज्य के राजस्व को बढ़ाया जा सके और वित्तीय स्थिति को मजबूत किया जा सके।

कर्ज के बोझ और 8वें वेतन आयोग पर चिंता
राजस्थान के लिए कर्ज का बोझ बढ़ता जा रहा है। कर्ज की कुल राशि 6,40,687 करोड़ तक पहुंचने की संभावना जताई जा रही है, जबकि पिछले साल यह 5,79,781 करोड़ था। इस बढ़ते कर्ज के बीच, 8वें वेतन आयोग के लिए फंड जुटाना सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकता है। राज्य सरकार को इस मुद्दे को हल करने के लिए रणनीति तैयार करनी होगी, ताकि कर्मचारियों के वेतन आयोग के लिए धन की व्यवस्था की जा सके।