जयपुर, राजस्थान: राजस्थान में प्रतियोगी परीक्षाओं में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से राज्य सरकार ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। सरकार ने हाल ही में एक नई गाइडलाइन जारी की है, जिसके तहत अब डॉक्युमेंट वेरिफिकेशन का कार्य विभाग स्तर पर ही किया जाएगा। इस प्रक्रिया को 45 दिन के भीतर पूरा कर चयनित उम्मीदवारों को नियुक्ति पत्र सौंपा जाएगा। यह नया नियम राज्य में घोषित सभी चार लाख पदों पर होने वाली भर्तियों पर लागू होगा, जिसमें राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) और राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड की परीक्षाएं भी शामिल हैं।
आधे समय में पूरी होगी प्रक्रिया
राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड के अध्यक्ष आलोक राज ने बताया कि सरकार के इस निर्णय से अब भर्ती प्रक्रिया को आधे या उससे भी कम समय में पूरा किया जा सकेगा। पहले, डॉक्युमेंट वेरिफिकेशन के कारण पूरी प्रक्रिया में काफी समय लगता था। उन्होंने बताया कि बोर्ड के पास पर्याप्त कर्मचारी नहीं थे, और जो कर्मचारी उपलब्ध थे, वे भर्ती परीक्षाओं के आयोजन में ही व्यस्त रहते थे। इस वजह से कई भर्तियां एक साल तक भी पूरी नहीं हो पाती थीं। इस स्थिति को ध्यान में रखते हुए बोर्ड ने ही सरकार को विभाग स्तर पर डॉक्युमेंट वेरिफिकेशन का प्रस्ताव भेजा था, जिसे अब मंजूरी मिल गई है।
पांच महीनों में आयोजित होंगी 20 से अधिक परीक्षाएं
आगामी पांच महीनों में राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड ग्रेड थर्ड की 20 से अधिक परीक्षाएं आयोजित करेगा। बोर्ड ने इस संदर्भ में पहले ही एक कैलेंडर जारी किया हुआ है। बोर्ड के सूत्रों का कहना है कि पिछले कुछ समय में हुई परीक्षाओं में धांधलियों के कारण सिस्टम पर सवाल उठे हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए बोर्ड परीक्षाओं के आयोजन में नए प्रयोग कर रहा है।
फर्जीवाड़ा रोकने के लिए हाइब्रिड सिस्टम की शुरुआत
भर्ती परीक्षाओं में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी से बचने के लिए बोर्ड ने हाइब्रिड सिस्टम की भी शुरुआत की है, जिसे सीबीटी (कंप्यूटर बेस्ड टेस्ट) कम ओएमआर (ऑप्टिकल मार्क रीडर) नाम दिया गया है। यह सिस्टम पूरी तरह से ऑनलाइन भी नहीं होगा और न ही पूरी तरह से ऑफलाइन। इस प्रक्रिया के तहत अभ्यर्थियों को पेपर तो ऑनलाइन दिया जाएगा, लेकिन उत्तर उन्हें वर्तमान की तरह ऑफलाइन ही देना होगा। यह प्रणाली 20 हजार से कम अभ्यर्थियों वाली परीक्षाओं में लागू की जाएगी।
राजस्थान सरकार के इस नए कदम से प्रतियोगी परीक्षाओं में धांधली रोकने में काफी हद तक सफलता मिल सकती है। साथ ही, चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता और विश्वसनीयता बढ़ने की संभावना है, जिससे अभ्यर्थियों का विश्वास भी बना रहेगा।