जयपुर, राजस्थान: राजस्थान की राजधानी जयपुर से डूंगरपुर जिले की चौरासी विधानसभा सीट की दूरी लगभग 520 किलोमीटर है, लेकिन यहां के लोगों की प्राथमिकताएं स्थानीय मुद्दों तक सीमित हैं। उन्हें प्रदेश की राजनीति या राजधानी तक पहुंच से ज्यादा अपने रोज़मर्रा के जीवन और स्थानीय समस्याओं से सरोकार है। यहाँ के लोगों के लिए रोजगार, बिजली और कृषि के लिए पानी जैसी बुनियादी आवश्यकताएँ कहीं अधिक महत्वपूर्ण हैं।
एसटी वोटर्स का प्रभाव, और सियासी संग्राम
चौरासी विधानसभा सीट पर एसटी (आदिवासी) वोटर्स की संख्या अहम है और यही वोटर्स इस सीट पर चुनावी परिणामों को तय करते हैं। इस बार चुनावी मैदान में तीन प्रमुख दलों—बीजेपी, कांग्रेस और भारतीय आदिवासी पार्टी (BAP)—ने अपने प्रत्याशी उतारे हैं, और इनकी प्रचार गतिविधियाँ जोरों पर हैं। हालांकि, स्थानीय नेताओं की मानें तो इस चुनाव में असल मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच है।
बीजेपी की चुनावी रणनीति: दिग्गज नेताओं की तैनाती
बीजेपी ने इस बार अपनी चुनावी रणनीति को तेज़ी से आगे बढ़ाया है। पार्टी ने अपने सभी दिग्गज नेताओं को चौरासी सीट के प्रचार में लगा दिया है और जिम्मेदारियाँ सौंप दी हैं। जयपुर से डूंगरपुर तक बीजेपी के नेताओं को इस सीट के प्रचार का जिम्मा सौंपा गया है, और वे सभी इसे पूरी ताकत से निभा रहे हैं।
राज्यसभा सांसद चुन्नीलाल गरासिया ने कहा कि इस बार किसी भी स्तर पर कोई कमी नहीं छोड़ी जाएगी। उनका कहना था, “यह चुनाव झूठ और सच की लड़ाई है, और हम पूरी ताकत के साथ इसे जीतेंगे।” उन्होंने कहा कि भारतीय आदिवासी पार्टी (BAP) अपने पुराने मुद्दों को लेकर चुनावी मैदान में उतरी है, जबकि कांग्रेस अपने पुराने रिकॉर्ड को बचाने में जुटी है।
सीएम के दौरे का इंतजार, चुनावी शोर तेज
चौरासी विधानसभा सीट पर चुनावी माहौल अभी पूरी तरह से गरमाया नहीं है, लेकिन बीजेपी और कांग्रेस दोनों दलों के नेता लगातार अपने चुनावी प्रचार को तेज कर रहे हैं। बीजेपी अध्यक्ष ने अपना चुनावी दौरा पूरा कर लिया है, जबकि कांग्रेस नेता राजकुमार रोत सलूंबर और चौरासी में लगातार दौरे कर रहे हैं। इन दोनों नेताओं ने इस चुनाव को लेकर अपनी पूरी ताकत लगा दी है।
पिछले चुनाव में मिली हार के बाद रणनीति में बदलाव
चौरासी सीट पर पिछले चुनाव में बीजेपी को बड़े अंतर से हार का सामना करना पड़ा था। इस बार बीजेपी ने अपनी रणनीति में बदलाव करते हुए नए प्रत्याशी को मैदान में उतारा है, और कांग्रेस ने भी अपनी प्रत्याशी बदल दी है। हालांकि, इस बार बीजेपी और BAP के नेताओं की फौज चुनाव प्रचार में जुटी है, और यह सियासी जंग और भी रोमांचक हो गई है।