झुंझुनू, 13 सितम्बर 2024: भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री सुंदरलाल काका का शुक्रवार रात जयपुर के एसएमएस अस्पताल में निधन हो गया। वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे। अचानक तबीयत बिगड़ने पर उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया गया था, जहां रात 2:30 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। सुंदरलाल को लोग ‘काका’ कहकर बुलाते थे और उनके निधन से पूरे इलाके में शोक की लहर दौड़ गई है।
लंबे समय से बीमार थे काका सुंदरलाल
सुंदरलाल को 24 अगस्त को फेफड़ों में संक्रमण और सांस लेने में कठिनाई के कारण जयपुर के अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। इलाज के बाद कुछ दिनों में उनकी हालत में सुधार हुआ और उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई थी। वे जयपुर में अपने निवास पर रह रहे थे। 22 अगस्त को ही उन्होंने अपना 92वां जन्मदिन मनाया था।
अंतिम संस्कार पैतृक गांव में होगा
परिवारिक सूत्रों के अनुसार, सुंदरलाल काका की पार्थिव देह को सड़क मार्ग से उनके पैतृक गांव कलवा, तहसील बुहाना, जिला झुंझुनू ले जाया जाएगा। वहां दोपहर 2 बजे उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने जताया शोक
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, जो इन दिनों जापान दौरे पर हैं, ने काका सुंदरलाल के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया। उन्होंने परिजनों से फोन पर बात की और अपनी संवेदनाएं व्यक्त कीं। मुख्यमंत्री ने कहा कि काका सुंदरलाल की कमी को पूरा करना मुश्किल है, उन्होंने राज्य और पार्टी के लिए अनमोल योगदान दिया है।
प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ ने काका से की थी मुलाकात
भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ ने 5 सितंबर को जयपुर में काका सुंदरलाल के मानसरोवर स्थित निवास पर जाकर उनकी कुशलक्षेम पूछी थी। उन्होंने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से भी मोबाइल पर काका की बात करवाई थी। बाद में राठौड़ के कहने पर ही काका को फिर से एसएमएस अस्पताल में भर्ती करवाया गया था।
राजनीतिक सफर
1972 में काका सुंदरलाल ने कांग्रेस के टिकट पर झुंझुनू जिले की सूरजगढ़ विधानसभा सीट से पहली बार चुनाव जीता। इसके बाद उन्होंने कभी निर्दलीय, तो कभी कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा। 2003 में उन्होंने भाजपा के टिकट से जीत हासिल की और 2018 तक भाजपा के विधायक रहे। काका ने अपने राजनीतिक जीवन में कुल 10 विधानसभा चुनाव लड़े, जिनमें से 7 बार वे विजयी रहे।
काका की भाजपा में एंट्री: भैरोसिंह शेखावत के साथ हेलिकॉप्टर से आए
1993 के विधानसभा चुनावों में भाजपा को पूर्ण बहुमत नहीं मिला था। भैरोसिंह शेखावत सरकार बनाने के लिए समर्थन जुटा रहे थे, जब उन्होंने काका से फोन पर बात की और कहा कि वे हेलिकॉप्टर से लेने आ रहे हैं। सुंदरलाल शेखावत के समर्थन में जयपुर पहुंचे और इसके बाद भाजपा में शामिल हो गए। उनकी वजह से शेखावत की सरकार बनी, और बाद में शेखावत ने ही काका को 1998 में पहली बार मंत्री बनाया।
वसुंधरा राजे के करीबी और अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष रहे
सुंदरलाल, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के करीबी माने जाते थे। उनके कार्यकाल के दौरान वे दो बार अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष बने और उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया। इसके अलावा, 1998 में वे ऊर्जा और मोटर गैराज विभाग के स्वतंत्र प्रभार के राज्य मंत्री भी रहे।
2005 में सुंदरलाल के बेटे विनोद की शादी हुई। तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया भी इस शादी में शामिल हुई।
संघर्षमय जीवन और जमीन से जुड़े नेता
सुंदरलाल का जन्म 22 अगस्त 1933 को झुंझुनू जिले के कलवा गांव में हुआ था। साधारण परिवार में जन्मे काका ने पंच से लेकर विधायक तक का सफर तय किया। उन्होंने अपने संघर्ष के दिनों में नेपाल में लकड़ियां काटने का काम भी किया था। राजनीति में उनका सफर हमेशा संघर्ष और जुझारूपन का प्रतीक रहा।
भाजपा से बगावत का दौर
2018 में अपनी उम्र के चलते सुंदरलाल ने चुनाव न लड़ने का फैसला किया, लेकिन 2023 के विधानसभा चुनाव में जब भाजपा ने उनके बेटे को टिकट नहीं दिया, तो वे रो पड़े थे। बाद में उनके बेटे ने निर्दलीय चुनाव लड़ा, हालांकि वह हार गए।
राजनीति में देसी अंदाज और बेबाकी
सुंदरलाल ‘काका’ अपने ठेठ देसी अंदाज और स्पष्टवादिता के लिए पहचाने जाते थे। 2004 में जब अमिताभ बच्चन की फिल्म ‘खाकी’ जयपुर के राज मंदिर सिनेमा हॉल में दिखाई जा रही थी, तब गृह मंत्री गुलाब चंद कटारिया बिना पास के बाहर खड़े थे। काका ने उन्हें साथ लेकर सिनेमा हॉल के अंदर प्रवेश करवाया और अन्य मंत्रियों और विधायकों के स्टाफ को भी फिल्म दिखवाई।