झुंझुनूं, 17 जुलाई 2024: राजस्थान का झुंझुनूं जिला यूं ही फौजियों और शहीदों वाला जिला नहीं कहलाता। 15 जुलाई 2024 की रात जम्मू कश्मीर के डोडा में हुए आतंकी हमले में झुंझुनूं जिले के दो वीर जवानों ने अपनी जान न्यौछावर कर दी। ये जवान थे अजय सिंह नरूका और बिजेंद्र सिंह। दोनों जवानों का अंतिम संस्कार बुधवार को उनके पैतृक गांव में किया गया।
परिजन बोले- ‘अब बहू को भेजेंगे फौज में’
अजय सिंह नरूका, जो झुंझुनूं जिले की बुहाना तहसील के गांव भैंसावता कलां के निवासी थे, अपने परिवार में तीसरी पीढ़ी के शहीद थे। उनके चाचा सुजान सिंह और मामा तेजपाल सिंह भी भारतीय सेना में सेवा करते हुए शहीद हो चुके थे। अजय सिंह की पत्नी, शालू कंवर, एमएससी की परीक्षा दे चुकी हैं और अब शहीद परिवार ने उन्हें भी सेना में भेजने का निर्णय लिया है।
छुट्टी से पहले ही शहीद
अजय सिंह नरूका, जो 10 आरआर डोडा में तैनात थे, 18 जुलाई को छुट्टी लेकर घर आने वाले थे। मगर, तीन दिन पहले ही आतंकियों के साथ मुठभेड़ में वे शहीद हो गए। उनका पार्थिव शरीर आज तिरंगे में लिपटकर उनके घर आया।
परिवार में फौजियों की विरासत
अजय सिंह के परिवार में फौजियों की लंबी विरासत है। उनके चाचा सुजानसिंह 14 दिसंबर 2021 को शहीद हुए थे। उनके मामा तेजपाल सिंह भी फौजी थे और शहीद हो चुके हैं। अजय सिंह के पिता कमल सिंह नरूका 2015 में भारतीय सेना के 24 राजपूत रेजिमेंट सेंटर फतेहगढ़ से रिटायर हुए थे। वर्तमान में उनके चाचा कायम सिंह भारतीय सेना में माउंट आबू में तैनात हैं और उन्हें 2022 में सेना मेडल से सम्मानित किया गया है।
बिजेंद्र 2018 में आर्मी में भर्ती हुए थे
दूसरे शहीद, बिजेंद्र सिंह, झुंझुनूं के गांव डूमोली खुर्द की ढाणी खुबा के रहने वाले थे। बिजेंद्र सिंह 2018 में आर्मी में भर्ती हुए थे। 8 नवंबर 2019 में उनकी शादी नयाबास मानोता कलां (खेतड़ी) की रहने वाली अंकिता (25) से हुई थी। उनके दो बेटे हैं, जिनमें विहान चार साल का, जबकि किहान एक साल का है। परिवार में तीन बहनें भरपो देवी, शर्मिला, कविता है, जिनकी शादी हो चुकी हैं। पिता रामजीलाल (48) गांव में खेती करते हैं। मां धोली देवी गृहिणी है। छोटा भाई दशरथ सिंह (24) भी सेना में हैं, जो लखनऊ में तैनात है।
पांच दिन पहले छुट्टी हो गई थी कैंसिल
बिजेंद्र सिंह फरवरी में एक महीने की छुट्टी पर अपने घर आए थे। पांच दिन पहले घर आने वाले थे, लेकिन आतंकी घटनाओं के चलते छुट्टी कैंसिल हो गई थी।
दोनों शहीदों का अंतिम संस्कार बुधवार को उनके पैतृक गांव में किया गया।