मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस सरकार का ऐतिहासिक फैसला, मराठी और अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में होगा क्रियान्वयन
मुंबई, महाराष्ट्र: महाराष्ट्र में भाषा को लेकर चल रहे विवाद के बीच मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली सरकार ने बड़ा शैक्षणिक निर्णय लेते हुए राज्य के स्कूलों में कक्षा 1 से 5 तक हिंदी भाषा को तीसरी भाषा के रूप में अनिवार्य कर दिया है। यह निर्णय राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के तहत लिया गया है और इसे आगामी शैक्षणिक सत्र 2025-26 से लागू किया जाएगा।

तीन भाषायी फॉर्मूले के तहत शिक्षा व्यवस्था में बदलाव
अब तक महाराष्ट्र के स्कूलों में दो भाषाएं पढ़ाई जाती थीं, परंतु अब NEP-2020 के तहत छात्रों को तीन भाषाओं का अध्ययन करना अनिवार्य होगा। सरकार ने इस संबंध में आधिकारिक अधिसूचना (Notification) जारी कर दी है और नए पाठ्यक्रम का निर्माण भी प्रारंभ कर दिया गया है।
हिंदी सिलेबस का नया स्ट्रक्चर – 5+3+3+4 मॉडल के तहत चरणबद्ध व्यवस्था
शिक्षा विभाग के अनुसार, हिंदी भाषा का सिलेबस NEP द्वारा प्रस्तावित 5+3+3+4 मॉडल के अनुसार तैयार किया जाएगा। इस मॉडल के अंतर्गत शिक्षा को चार चरणों में बांटा गया है:
चरण | अवधि | कक्षाएं | नाम |
---|---|---|---|
1️⃣ | 5 वर्ष | प्री-प्राइमरी (3 वर्ष) + कक्षा 1-2 | फाउंडेशनल स्टेज |
2️⃣ | 3 वर्ष | कक्षा 3-5 | प्रारंभिक चरण (Preparatory Stage) |
3️⃣ | 3 वर्ष | कक्षा 6-8 | मिडिल स्टेज |
4️⃣ | 4 वर्ष | कक्षा 9-12 | सेकेंडरी स्टेज |
इस मॉडल की शुरुआत कक्षा 1 से 2025-26 सत्र में की जाएगी, और क्रमशः आगे की कक्षाओं में इसे विस्तारित किया जाएगा।

NCERT आधारित होंगी पुस्तकें, बालभारती द्वारा होंगी तैयार
नई शिक्षा नीति के तहत महाराष्ट्र स्टेट बोर्ड की किताबों को NCERT के सिलेबस पर आधारित किया जाएगा। विशेष रूप से सामाजिक विज्ञान और भाषायी विषयों में आवश्यक बदलाव किए जाएंगे।
कक्षा 1 की पुस्तकें ‘बालभारती’ द्वारा तैयार की जाएंगी और इन्हें आधुनिक, समावेशी और इंटरैक्टिव बनाने के निर्देश दिए गए हैं।